एक ही बार परखिए, ना वा बारम्बर,
बालू तोहू किरकिरी, जो छाने सो बार
,,,,,,,किसी व्यक्ति को बस ठीक से एक ही बार परख लो,, तो फिर उसे बारम्बर परखने की ज़रूरत नही होती,, जेसे यदि बालू [ रेत ] को सो सो बार भी छाना जाए,, तो भी उसकी किरकिराहट नही जा सकती,,,,,,,,
मूड दुर्जन को कितनी भी बार परखो,, वह अपनी मुड़ता दुष्टता से भरा वेसा ही मिलेगा,
बालू तोहू किरकिरी, जो छाने सो बार
,,,,,,,किसी व्यक्ति को बस ठीक से एक ही बार परख लो,, तो फिर उसे बारम्बर परखने की ज़रूरत नही होती,, जेसे यदि बालू [ रेत ] को सो सो बार भी छाना जाए,, तो भी उसकी किरकिराहट नही जा सकती,,,,,,,,
मूड दुर्जन को कितनी भी बार परखो,, वह अपनी मुड़ता दुष्टता से भरा वेसा ही मिलेगा,
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