हे राम.........
सूनो हमारी करुण पुकार .........
तुम बिनु को मोरी राखे लाज,
मेरे "राम" गरीब निवाज ,
तुम बिनु को मोरी राखे लाज...........
मैं असहाय अधम अज्ञानी,
पतितंन को सिरताज.......
पतित उधारन बिरदु तुम्हारो
सिद्ध करो महराज,
तुम बिन को मोरी राखे लाज..........
जिसने ध्यान लगाया ,पाया,
जैसे ध्रुव, गजराज........
हमरी बारी जाय छुपे तुम
किन कुंजन में आज........
तुम बिनु को मोरी राखे लाज...........
मैं अपराधी हूँ बड़ा
अवगुण भरा जहाज,
डूब रहा मझधार में ,
पार करो महराज.........
तुम बिनु को मोरी राखे लाज...........
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