Sunday, 15 June 2014

तू मुस्कुरा, जहाँ भी है तू मुस्कुरा,
तू धूप की तरह बदन को छू ज़रा.
शरीर से ये मुस्कुराहटें तेरी,
बदन में सुनती हूँ मैं आहटें तेरी,
लबों से आके छू ले अपने लब ज़रा,
तू मुस्कुरा, जहाँ भी है तू मुस्कुरा.....

ऐसा होता है ख्यालों में अक्सर,
तुझको सोचूं तो महक जाती हूँ,
मेरी रूह में बसी है तेरी खुशबु,
तुझको छू लूँ तो बहक जाती हूँ..
तेरी आँखों में कोई तो जादू है,
तू मुस्कुरा, जहाँ भी है तू मुस्कुरा.....

तेज चलती है हवाओं की साँसें,
मुझको बाहों में लपेट के छुपा ले,
तेरी आँखों की हसीं लोरियों में,
मैं बदन को बिछाऊं तू सुला ले..
तेरी आँखों में कोई तो नशा है,
तू मुस्कुरा, जहाँ भी है तू मुस्कुरा.....

तू मुस्कुरा, जहाँ भी है तू मुस्कुरा,
तू धूप की तरह बदन को छू ज़रा....

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