Wednesday, 11 June 2014

नौमी के दिन बजत नगारा, प्रगट भये रघुराई।
चैत्र मास मधु मास सुरंगो, बसंत रितु छबि छाई॥
अवधपुरी में आनन्द छायो, घर घर बटत बधाई।
सरजूजी में उठत हिलौरा सीतल पवन सुहाई॥
मुदित भई कौशल्या माता सुख बरन्यो नहिं जाई।
कुशल कौशलाधीश सबन्हि कहुं देत बस्तु मनचाई॥
नाचत गावत देव अपसरा पुष्प रहे बरषाई।
ले बीना नारद रिषि नाचे रघुकुल को जस गाई॥
ब्रह्मा नाचे शंकर नाचे संतन सँग समुदाई।
बेद मंत्र सब बिप्र उचारे जय जय घोष मचाई॥

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