मनुष्य में जो कुछ भी कूवत है, वह उनकी अपनी नहीं है।
यह बात याद रखनी चाहिए कि मेरा कुछ भी नहीं है।
परमात्मा अन्न के रूप में जब उनके शरीर में प्रवेश करते हैं,
तब उनमें शक्ति आती है।
तो मनुष्य में अपना कुछ नहीं है।
कहा जाता है कि परमात्मा की कृपा होने से 'मूकं' करोति वाचालं, पंगु लंघयते गिरिम्' अर्थात जो मूक हैं,
जो गूंगा हैं,
वे भी वाचाल हो जाते हैं,
खूब बात बोलते हैं और पंगु भी पर्वत आरोहण कर जाते हैं।
बूढ़ा जो धीरे -धीरे चलता है,
वह भी तो अपनी शक्ति से नहीं चलता,
उसके पैर में जो भी थोड़ी शक्ति है और लाठी के रूप में जो भरोसा है,
वह भी उसकी अपनी शक्ति नहीं होती,
वह भी तो परमात्मा की है।
परमात्मा की हवा,
परमात्मा का पानी,
परमात्मा की रौशनी,
परमात्मा का खाना,
इन चीजों से मनुष्य की शक्ति बनती है।
अपना कुछ नहीं हैं।
जब मनुष्य मन में ये भावना घर कर लेता है कि मेरी शक्ति से नहीं,
उन्हीं की शक्ति से सबकुछ हो रहा है,
तब उनमें अनंत शक्ति आ जाती है।
तुमलोग इस दुनिया में जो आए हो,
तुम लोगों को बहुत कुछ करना है।
देखो, दुनिया में जो कुछ भी होता है,
उसके पीछे काम करती है कौन सी वृत्ति?
एषणा वृत्ति।
एषणा है इच्छा को कार्य रूप देने का प्रयास।
जहां इच्छा है और इच्छा के अनुसार काम करने की चेष्टा है
उसको कहते हैं एषणा।
दुनिया में जो कुछ भी है इच्छा से ही वह सब कुछ बनता है।
यह बात याद रखनी चाहिए कि मेरा कुछ भी नहीं है।
परमात्मा अन्न के रूप में जब उनके शरीर में प्रवेश करते हैं,
तब उनमें शक्ति आती है।
तो मनुष्य में अपना कुछ नहीं है।
कहा जाता है कि परमात्मा की कृपा होने से 'मूकं' करोति वाचालं, पंगु लंघयते गिरिम्' अर्थात जो मूक हैं,
जो गूंगा हैं,
वे भी वाचाल हो जाते हैं,
खूब बात बोलते हैं और पंगु भी पर्वत आरोहण कर जाते हैं।
बूढ़ा जो धीरे -धीरे चलता है,
वह भी तो अपनी शक्ति से नहीं चलता,
उसके पैर में जो भी थोड़ी शक्ति है और लाठी के रूप में जो भरोसा है,
वह भी उसकी अपनी शक्ति नहीं होती,
वह भी तो परमात्मा की है।
परमात्मा की हवा,
परमात्मा का पानी,
परमात्मा की रौशनी,
परमात्मा का खाना,
इन चीजों से मनुष्य की शक्ति बनती है।
अपना कुछ नहीं हैं।
जब मनुष्य मन में ये भावना घर कर लेता है कि मेरी शक्ति से नहीं,
उन्हीं की शक्ति से सबकुछ हो रहा है,
तब उनमें अनंत शक्ति आ जाती है।
तुमलोग इस दुनिया में जो आए हो,
तुम लोगों को बहुत कुछ करना है।
देखो, दुनिया में जो कुछ भी होता है,
उसके पीछे काम करती है कौन सी वृत्ति?
एषणा वृत्ति।
एषणा है इच्छा को कार्य रूप देने का प्रयास।
जहां इच्छा है और इच्छा के अनुसार काम करने की चेष्टा है
उसको कहते हैं एषणा।
दुनिया में जो कुछ भी है इच्छा से ही वह सब कुछ बनता है।
No comments:
Post a Comment