Wednesday, 11 June 2014

इसे जीवित रखकर क्या लाभ


 रामकृष्ण परमहंस बहुधा एक कथा कहा करते थे कि एक आदमी जंगल से जा रहा था कि उसे तीन डाकुओं ने पकड़ लिया | उन्होंने उसे लूट लिया तब एक डाकू बोला - " इसे जीवित रखकर क्या लाभ ? इसे मार डालते हैं |" दूसरा बोला - " नहीं , इसके हाथ पैर बाँध कर छोड़ देते हैं |" तीसरे डाकू को उसपर दया आ गयी और वह उसके बंधन खोलकर सड़क पर छोड़ आया |
रामकृष्ण बोलते थे -" ये संसार भी ऐसा ही जंगल है , जिसमे सत्व , रज और तम तीन डाकू रहते हैं , ये जीवों का तत्वज्ञान छीन लेते हैं | तमोगुण मारना चाहता है , रजोगुण संसार में फंसाता है और सतोगुण रज और तम से बचाता है | तमोगुण और रजोगुण जिस भवबंधन में बांधते हैं , उसे सतोगुण काट डालता है , पर ताव्ज्ञान वह भी नहीं दे सकता | वह जीव को परमधाम जाने की सड़क तक तो पंहुचा सकता है , पर उसके आगे की यात्रा बिना किसी गुण का आश्रय लिए ही पूर्ण होती है |" इसलिए परमात्मा को त्रिगुणातीत कहा गया है , जो त्रिगुणों से पार है और जहाँ तक प्रकृति के बंधन पहुच नहीं सकते |

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