भोजन में अनेक ऐसी वस्तुएँ हैं, जिन्हें प्रतिदिन प्रयोग
करके हृदयरोग व हृदयाघात से बचा जा सकता है। ये हैं-
* प्याज- इसका प्रयोग सलाद के रूप में कर सकते हैं।
इसके प्रयोग से रक्त का प्रवाह ठीक रहता है।
कमजोर हृदय होने पर जिनको घबराहट होती है
या हृदय की धड़कन बढ़ जाती है उनके लिए प्याज बहुत
ही लाभदायक है।
* टमाटर- इसमें विटामिन सी, बीटाकेरोटीन,
लाइकोपीन, विटामिन ए व पोटेशियम प्रचुर
मात्रा में पाया जाता है जिससे दिल
की बीमारी का खतरा कम हो जाता है।
* लौकी- इसे घिया भी कहते हैं। इसके प्रयोग से
कोलोस्ट्रॉल का स्तर सामान्य अवस्था में आना शुरू
हो जाता है। ताजी लौकी का रस निकालकर
पोदीना पत्ती-4 व तुलसी के 2 पत्ते डालकर दिन में
दो बार पीना चाहिए।
* लहसुन- भोजन में इसका प्रयोग करें। खाली पेट सुबह
के समय दो कलियाँ पानी के साथ भी निगलने से
फायदा मिलता है।
* गाजर- बढ़ी हुई धड़कन को कम करने के लिए गाजर
बहुत ही लाभदायक है। गाजर का रस पिएँ, सब्जी खाएँ
व सलाद के रूप में प्रयोग करें।
* नीबू- दिन में दो-तीन बार शहद में नीबू का रस
डालकर पिएँ।
* शहद- यह एक ऐसा पदार्थ है जो रक्त में तीव्रता से
मिलकर शरीर को ऊर्जा देता है। इससे हृदय
को शक्ति मिलती है। थोड़ी-सी घबराहट होने पर
नीबू-शहद लेने से कुछ ही देर में आराम हो जाता है।
* अर्जुन की छाल- यह औषधि हृदय रोग में बहुत
ही उपयोगी है। इसका पावडर आधा चम्मच एक कप
पानी में उबालकर आधा रह जाए तब पी लें। हृदय
की सूजन, धड़कनों में तीव्रता, धमनियों में रुकावट
आदि समस्या इससे दूर होती है।
* मौसंबी- मौसंबी का रस कोलेस्ट्रॉल को कम करने के
साथ इसमें उपस्थित गंदगी को भी साफ करता है।
* अनार- प्रतिदिन एक अनार खाने से
या अनार का रस लेने से हृदय रोग में
फायदा होता है।
* अदरक- सीने में जकड़न या साँस लेने में
भारीपन महसूस होने पर अदरक का रस शहद
के साथ सेवन करने से आराम मिलता है।
खानपान में सावधानी रखने के अतिरिक्त
हृदय रोग होने पर प्राकृतिक उपचार जैसे-
वैज्ञानिक मालिश, लोकल भाप,
छाती की लपेट, एनीमा, सूर्य स्नान,
हल्का भाप स्नान आदि चिकित्सालय में ले सकते हैं।
यौगिक उपचार तथा अनुलोम-विलोम, भ्रामरी,
भस्रिका का प्राणायाम भी करें।
करके हृदयरोग व हृदयाघात से बचा जा सकता है। ये हैं-
* प्याज- इसका प्रयोग सलाद के रूप में कर सकते हैं।
इसके प्रयोग से रक्त का प्रवाह ठीक रहता है।
कमजोर हृदय होने पर जिनको घबराहट होती है
या हृदय की धड़कन बढ़ जाती है उनके लिए प्याज बहुत
ही लाभदायक है।
* टमाटर- इसमें विटामिन सी, बीटाकेरोटीन,
लाइकोपीन, विटामिन ए व पोटेशियम प्रचुर
मात्रा में पाया जाता है जिससे दिल
की बीमारी का खतरा कम हो जाता है।
* लौकी- इसे घिया भी कहते हैं। इसके प्रयोग से
कोलोस्ट्रॉल का स्तर सामान्य अवस्था में आना शुरू
हो जाता है। ताजी लौकी का रस निकालकर
पोदीना पत्ती-4 व तुलसी के 2 पत्ते डालकर दिन में
दो बार पीना चाहिए।
* लहसुन- भोजन में इसका प्रयोग करें। खाली पेट सुबह
के समय दो कलियाँ पानी के साथ भी निगलने से
फायदा मिलता है।
* गाजर- बढ़ी हुई धड़कन को कम करने के लिए गाजर
बहुत ही लाभदायक है। गाजर का रस पिएँ, सब्जी खाएँ
व सलाद के रूप में प्रयोग करें।
* नीबू- दिन में दो-तीन बार शहद में नीबू का रस
डालकर पिएँ।
* शहद- यह एक ऐसा पदार्थ है जो रक्त में तीव्रता से
मिलकर शरीर को ऊर्जा देता है। इससे हृदय
को शक्ति मिलती है। थोड़ी-सी घबराहट होने पर
नीबू-शहद लेने से कुछ ही देर में आराम हो जाता है।
* अर्जुन की छाल- यह औषधि हृदय रोग में बहुत
ही उपयोगी है। इसका पावडर आधा चम्मच एक कप
पानी में उबालकर आधा रह जाए तब पी लें। हृदय
की सूजन, धड़कनों में तीव्रता, धमनियों में रुकावट
आदि समस्या इससे दूर होती है।
* मौसंबी- मौसंबी का रस कोलेस्ट्रॉल को कम करने के
साथ इसमें उपस्थित गंदगी को भी साफ करता है।
* अनार- प्रतिदिन एक अनार खाने से
या अनार का रस लेने से हृदय रोग में
फायदा होता है।
* अदरक- सीने में जकड़न या साँस लेने में
भारीपन महसूस होने पर अदरक का रस शहद
के साथ सेवन करने से आराम मिलता है।
खानपान में सावधानी रखने के अतिरिक्त
हृदय रोग होने पर प्राकृतिक उपचार जैसे-
वैज्ञानिक मालिश, लोकल भाप,
छाती की लपेट, एनीमा, सूर्य स्नान,
हल्का भाप स्नान आदि चिकित्सालय में ले सकते हैं।
यौगिक उपचार तथा अनुलोम-विलोम, भ्रामरी,
भस्रिका का प्राणायाम भी करें।
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