Monday, 16 June 2014

शरण मेँ रहूँ तेरी मैँ

मेरे बजरंग तुझे प्रणाम,
भक्तोँ का तू सहाई बिगड़े बनाये काम,
मेरे बजरंग तुझे प्रणाम॥
तेरा जलवा खूब ओ तेरी महिमा खूब,
क्या राजा क्या भिखारी सबपे रहता,
है तू मेहरबान ... मेरे बजरंग ...॥

सबसे अमीर तू है मेरी तकदीर तू है,
दर का फकीर हूँ मैँ बंदा अकीर हूँ मैँ,
सबपे तेरी नजर है, फिर मुझसे क्योँ बेखबर है,
नाव मेरी अटकी है, लहरोँ के थपेङोँ मेँ भटकी है,
पतवार बनके तुम बाबा डूबती को लेना थाम॥१॥
मेरे बजरंग ...

कर ना हमेँ बेकरार देदे दर्शन आके एक बार,
कब तेरी नजर होगी भक्तोँ पे मेहर होगी,
बैठा है क्योँ हमेँ भूलकर, हुई खता तो माफ कर,
दुनिया मेँ नहीँ है ठिकाना, तुम हमेँ मत ठुकराना,
जगत मेँ छा रहा है भक्त वत्सल तेरा नाम॥२॥
मेरे बजरंग ...

शरण मेँ रहूँ तेरी मैँ बस यही आरजू है,
हो जाये जो कृपा तेरी, सुधर जाये जिन्दगी मेरी,
तू मान ले मेरी अरजी, बता तेरी क्या है मरजी,
गम का सागर विशाल है ये, विपदा तू टाल दे ये,
'खेदड़' हार गया है अब तो ले लेकर तेरा नाम॥३॥
मेरे बजरंग .

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