जिस तरहा
जल के बिना नदी की शोभा नही होती
प्राण के बिना शरीर की शोभा नही होती
बिना कुमकुम तिलक के सुहागन की शोभा नही होती
बिना संतान के माँ की शोभा नही होती
मूर्ति के बिना मन्दिर की शोभा नही होती
माता पिता के बिना पुत्र की शोभा नही होती
उसी तरहा जीव भगवान के बिना अच्छा नही सोहाता
जल के बिना नदी की शोभा नही होती
प्राण के बिना शरीर की शोभा नही होती
बिना कुमकुम तिलक के सुहागन की शोभा नही होती
बिना संतान के माँ की शोभा नही होती
मूर्ति के बिना मन्दिर की शोभा नही होती
माता पिता के बिना पुत्र की शोभा नही होती
उसी तरहा जीव भगवान के बिना अच्छा नही सोहाता
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