Friday, 15 August 2014

हरि बोल मेरी रसना घड़ी घड़ी हरि बोल......

व्यर्थ बिताती है क्यों जीवन, मुख

मंदिर में पड़ी पड़ी ।।

हरि बोल मेरी रसना घड़ी घड़ी हरि बोल......

नित्य निकाल गोविन्द नाम की, सॉंस
सॉंस से लड़ी लड़ी ।।

हरि बोल मेरी रसना घड़ी घड़ी हरि बोल......

जाग उठे तेरी धुन को सुन, इस
काया की घड़ी घड़ी ।।

हरि बोल मेरी रसना घड़ी घड़ी हरि बोल......

बरसा दे प्रभु नाम सुधारस, बूंद बूंद से
घड़ी घड़ी ।।

हरि बोल मेरी रसना घड़ी घड़ी हरि बोल......

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