Sunday, 8 June 2014

धीरे-धीरे और शांतिपूर्वक खाना चाहिए।

स्वस्थ जीवन के लिए कुछ उपयोगी बातें इस प्रकार हैं-

पानी :-

सभी व्यक्तियों को स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन सुबह के समय में बिस्तर से उठकर कुछ समय के लिए पालथी मारकर बैठना चाहिए और कम से कम 1 से 3 गिलास गुनगुना पानी पीना चाहिए या फिर ठंडा पानी पीना चाहिए।
स्वस्थ रहने के लिए प्रत्येक व्यक्तियों को प्रतिदिन कम से कम 10 से 12 गिलास पानी पीना चाहिए।
महत्वपूर्ण क्रिया :-

सभी व्यक्तियों को स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन दिन में 2 बार मल त्याग करना चाहिए।
सांसे लंबी-लंबी और गहरी लेनी चाहिए तथा चलते या बैठते और खड़े रहते समय अपनी कमर को सीधा रखना चाहिए।
दिन में समय में कम से कम 2 बार ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए।
दिन में कम से कम 2 बार भगवान का स्मरण तथा ध्यान करें, एक बार सूर्य उदय होने से पहले तथा एक बार रात को सोते समय।
विश्राम :-

सभी मनुष्यों को भोजन करने के बाद मूत्र-त्याग जरूर करना चाहिए।
प्रतिदिन दिन में कम से कम 1-2 बार 5 से 15 मिनट तक वज्रासन की मुद्रा करने से स्वास्थ्य सही रहता है।
सोने के लिए सख्त या मध्यम स्तर के बिस्तर का उपयोग करना चाहिए तथा सिर के नीचे पतला तकिया लेकर सोना चाहिए।
सोते समय सारी चिंताओं को भूल जाना चाहिए तथा गहरी नींद में सोना चाहिए और शरीर को ढीला छोड़कर सोना चाहिए।
पीठ के बल या दाहिनी ओर करवट लेकर सोना चाहिए।
सभी मनुष्यों को भोजन और सोने के समय में कम से कम 3 घण्टे का अन्तर रखना चाहिए।
व्यायाम :-

सभी व्यक्तियों को स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन सुबह के समय में आधे घण्टे तक व्यायाम करना चाहिए तथा सैर या जॉगिंग करनी चाहिए।
सभी व्यक्तियों को आसन, सूर्य-नमस्कार, बागवानी, तैराकी, व्यायाम तथा खेल आदि क्रियाएं करनी चाहिए, जिनके फलस्वरूप स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है।
भोजन करने के बाद कम से कम 20 मिनट तक टहलना चाहिए जिसके फलस्वरूप स्वास्थ्य सही रहता है।
भोजन :-

कभी भी भूख से ज्यादा भोजन नहीं करना चाहिए तथा जितना आवश्यक हो उतना ही भोजन करना चाहिए।
भोजन को अच्छी तरह से चबाकर तथा धीरे-धीरे और शांतिपूर्वक खाना चाहिए।
दिन में केवल 2 बार ही भोजन करना चाहिए।
सुबह के समय में कम से कम 8-10 बजे के बीच में भोजन करना चाहिए तथा शाम के समय में 5-7 बजे के बीच में भोजन कर लेना चाहिए। ऐसा करने से स्वास्थ्य हमेशा सही रहता है।
भोजन में बीज या खाद्यान्न उपयोग करने से पहले उसे रात भर पानी में भिगोकर रखना चाहिए। इसके बाद अगले दिन उनका उपयोग भोजन में करना चाहिए।
भोजन के एक भाग में अनाज तथा दूसरे भाग में सब्जियां होनी चाहिए।
ज्यादा पके हुए तथा ज्यादा कच्चे अन्न पदार्थों का भोजन नहीं करना चाहिए।
भोजन में वसायुक्त शुद्ध तेलों का ही इस्तेमाल करना चाहिए, जैसे- तिल का तेल या सूरजमुखी का तेल आदि।
भोजन में कच्चे पदार्थों का अधिक सेवन करना चाहिए जैसे- अंकुरित चीजें, ताजी और पत्तेदार हरी सब्जियां, सलाद, फलों का रस, नींबू तथा शहद मिला हुआ पानी, मौसम के अनुसार फल आदि।
दूध की जगह छाछ या दही का अधिक उपयोग करना चाहिए।
पका हुआ भोजन करने के लिए चोकर सहित आटे की रोटी, दलिए तथा बिना पॉलिश किए हुए चावल का उपयोग करना चाहिए।
सप्ताह में कम से कम 1 बार फलों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए।
स्वस्थ रहने के लिए जैसे ही बीमार पड़े तुरंत ही प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना चाहिए।
कम उपयोग करने वाली चीजें :-

मिर्च-मसाले, दालें, घी, आइसक्रीम, क्रीम, नमक, मिठाईयां, गिरीदार चीजें तथा पकाई हुई चीजों का भोजन में बहुत ही कम उपयोग करना चाहिए।
अधिक वजन उठाने का कार्य नहीं करना चाहिए।
बहुत ज्यादा कठिन व्यायाम नहीं करना चाहिए।
ऊंची एड़ी के जूते नहीं पहनने चाहिए।
टी.वी. तथा फिल्में आदि ज्यादा नहीं देखनी चाहिए।

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