Saturday, 14 June 2014

आप भगवान् बन सकते है

ध्यान और प्रेम से नही कोई परमात्मा मिलता है ! नही कोई मोक्ष मिलता है ,और नही कोई सर्वग मिलता है, और नही धन और पद मिलता है ध्यान और प्रेम श्रेष्ठम आन्दमय जीवन जीने की कला है मिलता कुछ भी नही है ?जो मिला हुआ है उसी को सर्वग बनाने की कला है परमात्मा तो मिला हुआ ही है ,लेकिन वह अंश मात्र है, उस अंश को विराट् बनाने की कला को ध्यान और प्रेम कहते है ध्यान और प्रेम से कोई दुःख कम नही होंगे और नही नए सुखो की उत्पति होगी ? दुःख कम कुछ भी नही होगा और और बढ़ सकते है ?लेकिन उसमे आप में शिव की तरह विष को भी अमृत बनने की कला मिलती है ! ध्यान और प्रेम से कोई नया सुख नही मिलता है लेकिन तुम्हारे में उसी दुखो को सुखो में परिवर्तन करने की कला का नाम ध्यान और प्रेम है ध्यान और प्रेम से तुम्हे भगवान् नही मिलते है ध्यान और प्रेम से आप उन भगवान् की श्रेणी में आ जाते है जो अतीत में हए थे , आप भगवान् बन सकते है लेकिन कोई भगवान् मिल nahi सकता है ? जो मिलने की बाते है वे सभी एक स्वप्न मात्र है धर्म और शास्त्र में जिस भगवान् और सर्वग और उपलब्धियों की बातो की प्रसंसा की गई है वह प्रसंसा इसलिए है की मनष्य जाती बिना स्वप्न देखे कर्म नही करता है उसे स्वप्न दिखना अनिवार्य है यही सत्य है

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