Tuesday, 17 June 2014

मुझसे मिलने की इच्छा तीव्र हो तो मैं उसे

भक्त कि पुकार पर भगवान दोड़े चले आते है ,नंगे पावं

'''श्रीहरि अपने भक्तों से अनन्य प्रेम करते हैं। वे उनके लिए अपनी महत्त को भुलाकर दिन रात उसी की चिंता करते रहते हैं। यथा ‘ऐसी हरि करत दास पर प्रीति। निज प्रभुता बिसारि जनके बस होत सदा यह रीति।''''''''भगवान श्रीकृष्ण ने प्रेम के वष में होकर पाण्डवों के सारथि का काम किया। उसके सभासद बने। यहां तक कि उनके मन के अनुसार काम करके उनकी सेवा भी की। उनके सखा तो थे ही, दूत भी बने। वे रात को षस्त्र ग्रहण करके वीरासन से बैठ जाते और षिविर का पहरा भी देते। उनके पीछे-पीछे चलते, स्तुति करते तथा प्रणाम करते।
गरुड़जी को गज-ग्राह युद्ध के समय मोह हो गया और भगवान ने उन्हें सत्संग करने एवं अपने अभिमान का नाष करने को कहा। मोह कैसे दूर हो इसकी चिंता में गरुड़जी विभिन्न ऋिषियों के पास गए पर उन्हें अंत में काकभुषुंडीजी के पास ही जाने को कहा गया। क्योंकि''''''' ‘खग समझहिं खग ही की भाषा।’ ''''''''''
पानी पीते समय जब गजराज के पैैर को ग्राह ने अपना षिकार बनाने के लिए श्रीगंगाजी के जल में पकड़ लिया और दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ जिसमें गजराज अपने प्राणों को संकट में पड़ा देखकर श्रीहरि को पुकारा तो श्रीहरि का आसन डोल गया और वे अपने वाहन पक्षिराज गरुड़ की पीठ पर आसीन होकर अपने भक्त की रक्षा हेतु चल पड़े। पर भक्त पर आए घोर संकट को देख उसे उबारने के लिए प्रभु ने अपने पहुंचने से पहले ही अपने सुदर्षण को वहां भेजकर ग्राह का वध कर दिया और अपने भक्त गजराज के प्राणों की रक्षा की। प्रेम वस ही भगवान का भक्त प्रेम ,अद्भुत प्रेम
भक्त से भगवान को सिवा श्रद्धा और प्रेम के कुछ नहीं चाहिए। वे तो एक चुल्लु जल और तुलसी दल मात्र पर ही रिझ जाते हैं। जैस कि सतभामा के प्रसंग में उन्होंने सावित कर दिखाया।जो भक्त बड़े प्यार से मुझे भजता है, मैं बिना मांगे ही उसके चित्त में ज्ञान का दीप जलाता हूं। भगवान कहते हैं कि भक्त के मन में मुझसे मिलने की इच्छा तीव्र हो तो मैं उसे अपने आप ही मिल जाऊंगा। भगवान अपने भक्तों का गुणगान करते हैं। भक्त का चित्त और प्राण ईश्वर में समाहित होता है।
(भक्त और भगवान कि बाते )
'''एक बार एक भक्त ने भगवान से शिकायत करते हुए कहा: भगवन, अमीर लोग मंदिरों में आकर पैसे देते हैं और सीधे आपके दर्शन के लिए पहुंच जाते हैं। मैं गरीब घंटों बाहर धक्के खाता खड़ा रहता हूं तब कहीं जाकर आपकी एक झलक देखने को मिलती है। आप भी अमीरों को पहले दर्शन देने लगे हैं?
भगवान ने कहा: जो अमीर पैसे देकर मंदिर में प्रवेश करते हैं उन्हें सिर्फ मेरी मूर्ति देखने को मिलती है। दर्शन तो मैं सिर्फ तुम्हारे जैसे भक्तों को देता हूं। जैसा की आप लोगों को मालूम है की हमारे कुछ रैइश लोग यही सब करते है मगर उनको सचाई मालूम नहीं है की भगवान बिकाऊ नहीं है आप लोगों की तरह I

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