उधान में घूमते हुए अचानक राजा विक्रमादित्य महाकवि कालिदास से बोले आप कितने प्रतिभाशाली है ,मेधावी है ,पर भगवान ने आपका शरीर बुद्धि के अनुशार सुन्दर क्यों नहीं बनाया ?कुशल कालिदास राजा की बातो को समझ गये .उस समय वो कुछ नहीं बोले .राजमहल में आकर उन्होंने दो पात्र मंगाए -------एक मिट्टी का और एक सोने का .दोनों में जल भर दिया .
कुछ देर बाद कालिदास ने राजा से पूछा ,'''किस पात्र का जल अधिक शीतल है .?राजा ने कहा ........मिट्टी के पात्र का जल अधिक शीतल है .......तब मुकुराते हुए कालिदास ने उत्तर दिया '''''''जिस प्रकार शीतलता पात्र के बाहरी आधार पर निर्भर नहीं है ,उसी प्रकार प्रतिभा भी शरीर की आकृति पर निर्भर नहीं है
'विद्धता और महानता का संभंध शरीर से नहीं आत्मा से ह
कुछ देर बाद कालिदास ने राजा से पूछा ,'''किस पात्र का जल अधिक शीतल है .?राजा ने कहा ........मिट्टी के पात्र का जल अधिक शीतल है .......तब मुकुराते हुए कालिदास ने उत्तर दिया '''''''जिस प्रकार शीतलता पात्र के बाहरी आधार पर निर्भर नहीं है ,उसी प्रकार प्रतिभा भी शरीर की आकृति पर निर्भर नहीं है
'विद्धता और महानता का संभंध शरीर से नहीं आत्मा से ह
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