शरणागति क्या है
भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को समस्त ज्ञान देकर अंत में परम गोपनीय से गोपनीय, और गूढ़तम से गूढ़ रहस्य बताते हैं कि सब धर्मों को छोड़कर मेरी शरण में आजा, मैं तुम्हे सब पापों से मुक्त कर दूंगा|
अब प्रश्न यह उठता है कि शरणागति क्या है ?
कैसे शरणागत हों ?
कैसे समर्पित हों ?
क्या सिर्फ हाथ जोड़कर सर झुकाने ही शरणागति प्राप्त हो सकती है ? मन तो पुनश्चः कुछ क्षणों में संसार की वासनाओं और अहंकार में डूब जाएगा| ऐसा क्या उपाय है जिससे स्थायी शरणागति प्राप्त हो?
शरणागति है ----- गहन ध्यान साधना द्वारा अपने अहंकार यानि अपनी पृथकता के बोध को परमात्मा में समर्पित करना| परमात्मा का वाचक ओंकार यानि ॐ है| ओंकार पर गुरु प्रदत्त विधि से ध्यान ------ ब्रह्मरन्ध्र में "ॐ" ध्वनि के सागर में स्वयं को विलीन कर देना |
सारे उपनिषद् ओंकार की महिमा से भरे पड़े हैं| भगवान श्री कृष्ण ने गीता में --- प्रयाणकाल में भ्रूमध्य में ओंकार का स्मरण करते हुए देह त्याग करने की महिमा बताई है|
मध्यकाल के संतों का सारा साहित्य इस साधना की महिमा से भरा पड़ा है|
सभी को शुभ कामनाएँ और आप सब के ह्रदय में स्थित परमात्मा को प्रणाम !
भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को समस्त ज्ञान देकर अंत में परम गोपनीय से गोपनीय, और गूढ़तम से गूढ़ रहस्य बताते हैं कि सब धर्मों को छोड़कर मेरी शरण में आजा, मैं तुम्हे सब पापों से मुक्त कर दूंगा|
अब प्रश्न यह उठता है कि शरणागति क्या है ?
कैसे शरणागत हों ?
कैसे समर्पित हों ?
क्या सिर्फ हाथ जोड़कर सर झुकाने ही शरणागति प्राप्त हो सकती है ? मन तो पुनश्चः कुछ क्षणों में संसार की वासनाओं और अहंकार में डूब जाएगा| ऐसा क्या उपाय है जिससे स्थायी शरणागति प्राप्त हो?
शरणागति है ----- गहन ध्यान साधना द्वारा अपने अहंकार यानि अपनी पृथकता के बोध को परमात्मा में समर्पित करना| परमात्मा का वाचक ओंकार यानि ॐ है| ओंकार पर गुरु प्रदत्त विधि से ध्यान ------ ब्रह्मरन्ध्र में "ॐ" ध्वनि के सागर में स्वयं को विलीन कर देना |
सारे उपनिषद् ओंकार की महिमा से भरे पड़े हैं| भगवान श्री कृष्ण ने गीता में --- प्रयाणकाल में भ्रूमध्य में ओंकार का स्मरण करते हुए देह त्याग करने की महिमा बताई है|
मध्यकाल के संतों का सारा साहित्य इस साधना की महिमा से भरा पड़ा है|
सभी को शुभ कामनाएँ और आप सब के ह्रदय में स्थित परमात्मा को प्रणाम !
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