सवाल : कहां रहते हैं भूत-प्रेत?
जवाब : भूत निवास के संबंध में मान्यता है कि वे सालों से सुनसान पड़े मकान में, किसी तालाब किनारे के वृक्षों पर या खंडहर में निवास करते हैं। इसके अलावा वे नकारात्मक तमोगुणी मनुष्य के शरीर पर कब्जा पर उसके पास ही रहते हैं।
कुछ लोग मानते हैं कि भूत-प्रेत अंधेरे और दुर्गन्धयुक्त किसी मलिन स्थानों पर भी रहते हैं और पैसे ही पदार्थों का सेवन भी करते हैं।
सवाल : कौन बन जाता है भूत या प्रेत?
जवाब : अतृप्त आत्माएं बनती है भूत। जो व्यक्ति भूखा, प्यासा, संभोगसुख से विरक्त, राग, क्रोध, द्वेष, लोभ, वासना आदि इच्छाएं और भावनाएं लेकर मरा है अवश्य ही वह भूत बनकर भटकता है। तमोगुण प्रधान व्यक्ति भी भूत बनकर भटकते हैं।
और जो व्यक्ति दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या आदि से मरा है वह भी भूत बनकर भटकता है। ऐसे व्यक्तियों की आत्मा को तृप्त करने के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। जो लोग अपने स्वजनों और पितरों का श्राद्ध और तर्पण नहीं करते वे उन अतृप्त आत्माओं द्वारा परेशान होते हैं।
सवाल: भूत, प्रेत बाधा से ग्रस्त व्यक्ति के क्या लक्षण हैं?
जवाब : अगल अलग प्रेत होते हैं जो व्यक्ति जिस प्रेत के वश में होता है उसके वैसे वैसे लक्षण होते हैं। सामान्य तौर पर प्रेत बाधा से ग्रस्त व्यक्ति की आंखें स्थिर, अधमुंदी और लाल रहती हैं। उके नाखून काले हो जाते हैं।
उसका सामान्य व्यवहार नहीं होते। स्वभाव में अत्यधिक क्रोध, जिद और उग्रता पैदा हो जाती है। शरीर से बदबूदार पसीना आता रहता है और कहीं कहीं सूजन रहती है।
सवाल : क्यों नहीं दिखाई देती प्रेत आत्माएं हम लोगों को दिखाई क्यों नहीं देतीं?
जवाब : जीवित मनुष्य का शरीर पांच तत्वों से बना होता है जिसमें पृथ्वी तत्व सबसे अधिक होता है। जबकि मरने के बाद जीवात्मा सूक्ष्म शरीर में प्रवेश कर जाती है।
सूक्ष्म शरीर में वायुत्व की अधिकता होती है जिससे वे दिखाई नहीं देते। केवल उनका स्पर्श और अस्तित्व महसूस होता है। इस शरीर को केवल अंधकार में देखा जा सकता है। रात के घोर अंधकार में भी देख सकने वाले कुत्तों, बिल्ली, सियार और उल्लू जैसे निशाचारी प्राणियों को ये आसानी से दिखाई देते हैं।
जवाब : भूत निवास के संबंध में मान्यता है कि वे सालों से सुनसान पड़े मकान में, किसी तालाब किनारे के वृक्षों पर या खंडहर में निवास करते हैं। इसके अलावा वे नकारात्मक तमोगुणी मनुष्य के शरीर पर कब्जा पर उसके पास ही रहते हैं।
कुछ लोग मानते हैं कि भूत-प्रेत अंधेरे और दुर्गन्धयुक्त किसी मलिन स्थानों पर भी रहते हैं और पैसे ही पदार्थों का सेवन भी करते हैं।
सवाल : कौन बन जाता है भूत या प्रेत?
जवाब : अतृप्त आत्माएं बनती है भूत। जो व्यक्ति भूखा, प्यासा, संभोगसुख से विरक्त, राग, क्रोध, द्वेष, लोभ, वासना आदि इच्छाएं और भावनाएं लेकर मरा है अवश्य ही वह भूत बनकर भटकता है। तमोगुण प्रधान व्यक्ति भी भूत बनकर भटकते हैं।
और जो व्यक्ति दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या आदि से मरा है वह भी भूत बनकर भटकता है। ऐसे व्यक्तियों की आत्मा को तृप्त करने के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। जो लोग अपने स्वजनों और पितरों का श्राद्ध और तर्पण नहीं करते वे उन अतृप्त आत्माओं द्वारा परेशान होते हैं।
सवाल: भूत, प्रेत बाधा से ग्रस्त व्यक्ति के क्या लक्षण हैं?
जवाब : अगल अलग प्रेत होते हैं जो व्यक्ति जिस प्रेत के वश में होता है उसके वैसे वैसे लक्षण होते हैं। सामान्य तौर पर प्रेत बाधा से ग्रस्त व्यक्ति की आंखें स्थिर, अधमुंदी और लाल रहती हैं। उके नाखून काले हो जाते हैं।
उसका सामान्य व्यवहार नहीं होते। स्वभाव में अत्यधिक क्रोध, जिद और उग्रता पैदा हो जाती है। शरीर से बदबूदार पसीना आता रहता है और कहीं कहीं सूजन रहती है।
सवाल : क्यों नहीं दिखाई देती प्रेत आत्माएं हम लोगों को दिखाई क्यों नहीं देतीं?
जवाब : जीवित मनुष्य का शरीर पांच तत्वों से बना होता है जिसमें पृथ्वी तत्व सबसे अधिक होता है। जबकि मरने के बाद जीवात्मा सूक्ष्म शरीर में प्रवेश कर जाती है।
सूक्ष्म शरीर में वायुत्व की अधिकता होती है जिससे वे दिखाई नहीं देते। केवल उनका स्पर्श और अस्तित्व महसूस होता है। इस शरीर को केवल अंधकार में देखा जा सकता है। रात के घोर अंधकार में भी देख सकने वाले कुत्तों, बिल्ली, सियार और उल्लू जैसे निशाचारी प्राणियों को ये आसानी से दिखाई देते हैं।
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