Tuesday, 10 June 2014

यही आकर्षण प्रेम में बदल जाता है

क्यों होता है एक पुरूष ओर महिला के बीच में आकर्षण, इसका ज्योतिषिय कारण क्या है
जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त तक का एक एक क्षण ग्रहों के प्रभाव में व्यतीत होता है । जीवन में कइ बार प्रत्येक स्त्री पुरूष एक दूसरे कि तरफ आकर्षित होते है ।योग प्रबल होने पर यही आकर्षण प्रेम में बदल जाता है । एक महिला ओर पुरूष के बीच का आकर्षण ग्रहों पर निर्धारित होता है । कुण्डली में ग्रहों कि कुछ खास स्थिति होने पर एक महिला या पुरूष अपने से विपरीत लिंग के प्रति एसे आकर्षित होते है जैसे चुम्बक ओर लोहा, दोनों पास आने पर एक दूसरे कि तरफ आकर्षित होते है । 
आकर्षण के योग
1. महिला ओर पुरूष कि कुण्डली में शुक्र समान राशि में हो ।
2. महिला या पुरूष कि चन्द्र राशि जो हो, उस चन्द्र राशि में विपरीत लिंगी कि कुण्डली में शुक्र स्थित हो ।
जैसे:-- महिला कि राशि वृश्चिक है, ओर पुरूष कि कुण्डली में शुक्र वृश्चिक में बैठा हो, तो एसे स्त्री पुरूष एक दूसरे के प्रति आकर्षित होंगे ।
3.कुण्डली में शुक्र स्वराशी, उच्च, मूलत्रिकोण में हो ।
4.महिला या पुरूष कि लग्न राशि में विपरीत लिंगी कि कुण्डली में शुक्र बेठा हो ।
5.दोनों का लग्नेश एक ही हो ।
6.दोनों के लग्नेश परस्पर अति मित्र हो ।
7. दोनों के राशि स्वामि परस्पर अतिमित्र हो ।
8. दोनों कि कुण्डली में सप्तम भाव पर समान ग्रहों का प्रभाव हो ।
9. दोनों कि कुण्डली में पंचम भाव शुक्र से प्रभावित हो ।
ओर भी बहुत सारी एसी स्थितियाँ कुण्डली में ग्रहों के द्वारा बनती है। एसी स्थिती वाले महिला पुरूष आसपास आते ही लोहे ओर चुम्बक का चक्र ग्रहों के द्वारा घूमने लगता है । 
महिला या पुरूष कि विवेक शक्ति यदि तेज हो तो वह एसी परिस्थिति से बच निकलता है । कई लोग एसे भी होते है जिनकि तरफ कोइ आकर्षित नहीं होता, सिर्फ वो खुद ही दूसरों पर आकर्षित होता है । तो एसे जातक ज्योतिष के उपायों द्वारा अपने शरीर में आकर्षण शक्ति बढा सकते है ।

No comments:

Post a Comment