रोज इस उपाय से भी शनि करते हैं कृपा, हर काम में मिलती है सफलता
हिन्दू धर्मग्रंथों के मुताबिक शनिदेव बड़भागी यानी किस्मत का धनी बनाने वाले देवता हैं। क्योंकि वे दण्डाधिकारी ही नहीं, कर्मयोगी भी हैं। इसलिए माना जाता है कि किसी भी पुरुषार्थी व्यक्ति से शनि प्रसन्न रहते हैं। ऐसी शनि कृपा के लिए ही शनिवार को पूजा, व्रत, दान के धार्मिक उपायों में शास्त्रों में कुछ ऐसे उपाय भी हैं, जो खासकर कामकाजी लोगों के लिए कम वक्त में पूरे होने के साथ-साथ तेजी से तरक्की में असरदार सिद्ध होते हैं।
ज्योतिष मान्यताओं में भी कुण्डली में बलवान शनि भाग्यविधाता माने गए है। शनि को प्रसन्न कर दुर्भाग्य से बचने के ही आसान उपायों में एक है- शनि के नाम मंत्रों को बोलना। मान्यता है कि शनि के इन नाम मंत्रों का जप शनि पीड़ा दूर करने के साथ बेहतर सेहत, दौलत, अन्न, विद्या, बल और पराक्रम, सौभाग्य जैसी सभी कामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है।
इन 10 नाम मंत्रों का ध्यान या जप शनि मंदिर या शिवलिंग स्वरूप में विराजित शनिदेव के मंदिर में यथाशक्ति पूजा सामग्रियों से शनि व शिव की पूजा के बाद शनि पीड़ा दूर करने व सफलता व तरक्की की कामना से करें। अंत में पुराणों में शनि के स्वामी भी बताए गए महादेव का ध्यान कर शनि आरती करें-
- कोणस्थ
- पिंगल
- बभ्रू
- कृष्ण
- रौद्रान्तक
- यम
- सौरि
- शनैश्चर
- मन्द
- पिप्पलाश्रय
हिन्दू धर्मग्रंथों के मुताबिक शनिदेव बड़भागी यानी किस्मत का धनी बनाने वाले देवता हैं। क्योंकि वे दण्डाधिकारी ही नहीं, कर्मयोगी भी हैं। इसलिए माना जाता है कि किसी भी पुरुषार्थी व्यक्ति से शनि प्रसन्न रहते हैं। ऐसी शनि कृपा के लिए ही शनिवार को पूजा, व्रत, दान के धार्मिक उपायों में शास्त्रों में कुछ ऐसे उपाय भी हैं, जो खासकर कामकाजी लोगों के लिए कम वक्त में पूरे होने के साथ-साथ तेजी से तरक्की में असरदार सिद्ध होते हैं।
ज्योतिष मान्यताओं में भी कुण्डली में बलवान शनि भाग्यविधाता माने गए है। शनि को प्रसन्न कर दुर्भाग्य से बचने के ही आसान उपायों में एक है- शनि के नाम मंत्रों को बोलना। मान्यता है कि शनि के इन नाम मंत्रों का जप शनि पीड़ा दूर करने के साथ बेहतर सेहत, दौलत, अन्न, विद्या, बल और पराक्रम, सौभाग्य जैसी सभी कामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है।
इन 10 नाम मंत्रों का ध्यान या जप शनि मंदिर या शिवलिंग स्वरूप में विराजित शनिदेव के मंदिर में यथाशक्ति पूजा सामग्रियों से शनि व शिव की पूजा के बाद शनि पीड़ा दूर करने व सफलता व तरक्की की कामना से करें। अंत में पुराणों में शनि के स्वामी भी बताए गए महादेव का ध्यान कर शनि आरती करें-
- कोणस्थ
- पिंगल
- बभ्रू
- कृष्ण
- रौद्रान्तक
- यम
- सौरि
- शनैश्चर
- मन्द
- पिप्पलाश्रय
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