Tuesday, 27 May 2014

फिर कयो हो भला ईनकार मुझे

जीवन की रूलाती घडियो मे मिललता है तुमहारा प्यार मुझे 
कोइ चाह नही बाकी रहती प्रभु आके तेरे दरबार मुझे
मेरे दिल के गगन मे आके कभी जो गम की घटा छा जाती है । एक पल मे तब बनके दया तेरी हवा आ जाती है 
तुमको रक्षक कहने मे फिर कयो हो भला ईनकार मुझे
प्रभु दर पे तेरे आने बाला झोली अपनी भर लेता है 
तेरे दर से भला मै क्या माँगू विन माँगे तू सब देता है ।
जो तेरी ईचछा हो दाता हरदम है वही स्वीकार मुझे
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जब तक प्रभु मै दुनिया मे रहूं वस एक यही मेरा काम रहे 
मेरे दिल मे तुम्हारी याद रहे होठो पे तुम्हारा नाम रहे 
रहे प्यार तुम्हारे चरणों मे चाहे जन्म मुझे सौ बार मिले

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