संसार में दो प्रकार के लोग होते है,प्रथम वे जो स्वयं तो सत्य कि यात्रा पूर्ण करते ही है पर साथ ही अन्य कि यात्रा भी पूर्ण करवाने में सहायक होते है.ऐसे लोग सदा मौन एवं धैर्यवान होते है.तथा व्यर्थ कि चर्चा से दूर रहते है.ऐसे लोगो के पास आपको परिश्रम अधिक करना होता है परन्तु ये आपको आपके लक्ष्य तक पहुचाने में मुख्य भूमिका निभाते है।
और दूसरे वे होते है जो स्वयं कुछ नहीं करते है और लोगो को भी व्यर्थ के कार्यों में उलझाकर रखते है.न वे स्वयं लक्ष्य तक जाते है न आपको जाने देते है.या वे आपको उलझाकर स्वयं तो लक्ष्य प्राप्त कर लेते है परन्तु आपके आगे बढ़ने के सरे मार्ग बंद कर देते है.
अतः जब भी कोई लक्ष्य निर्धारित करो तो उस पर से अपनी दृष्टि कभी हटने न देना अन्यथा आपको भटकने से कोई नहीं रोक पायेगा।
और दूसरे वे होते है जो स्वयं कुछ नहीं करते है और लोगो को भी व्यर्थ के कार्यों में उलझाकर रखते है.न वे स्वयं लक्ष्य तक जाते है न आपको जाने देते है.या वे आपको उलझाकर स्वयं तो लक्ष्य प्राप्त कर लेते है परन्तु आपके आगे बढ़ने के सरे मार्ग बंद कर देते है.
अतः जब भी कोई लक्ष्य निर्धारित करो तो उस पर से अपनी दृष्टि कभी हटने न देना अन्यथा आपको भटकने से कोई नहीं रोक पायेगा।
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