धर्मदास तोहे लाख दुहाई, सार ज्ञान कहीं बाहर न जाई।
सार ज्ञान तब तक छिपाई, जब तक द्वादश पंथ न मिट जाई।।
उपरोक्त चैपाईयों का भावार्थ है कि कबीर परमेश्वर जी अपने प्रिय भक्त धर्मदास जी को विशेष निर्देश दे रहे हैं कि हे धर्मदास। तुझे लाख सौगंध है कि आप इस तत्व ज्ञान को तेरे और मेरे अतिरिक्त अन्य किसी को नहीं समझाना। इसे लीपीबद्ध कर ले। आप के वंश में तथा अन्य बारह पंथ काल ब्रह्म इसी ज्ञान के आधार से चलाएगा। परन्तु मेरी कृपा से कोई भी इस तत्वज्ञान को यथार्थ रूप से न समझ पाऐंगे। वे अपनी-2 समझ से इसका विपरीत अर्थ लगा कर एक दुसरे से वाद-विवाद करते रहेगें अपना-2 मत चलाकर भ्रमित रहेगें। यदि आप किसी को यह तत्वज्ञान बताओगे वह तुरन्त समझ जाएगा तथा यह तत्व भेद को समय
से पूर्व काल ब्रह्म के दूतों के हाथ लग जाएगा। जिस समय बिचली पीढ़ी प्रारम्भ होगी तब ज्ञान भी भिन्न न होने के कारण काल ब्रह्म का दाव लग जाएगा। कोई जीव हमारी शरण न आ पावेगा। इसलिए यह तत्वज्ञान तब तक गुप्त रखना है। मेरा तत्वज्ञान अन्य लोक वेद अर्थात् अज्ञान को ऐसे नष्ट कर देगा जैसे तोप यन्त्र का गोला जहाँ भी गिरता है। वहाँ की सर्व भवनों व किलों को ढहाकर मैदान कर देता है।
वर्तमान समय तक काल के सर्व पंथ चल चुके हैं। वे पंथ प्रवर्तक क्या ज्ञान बताते हैं ? वह उनके द्वारा लिखी पुस्तकों में विद्यमान है। बुद्धिमान वा शिक्षित व्यक्ति तुरन्त तत्वज्ञान की तुला में तोल कर देख लेगा तथा उस काल ब्रह्म के हानिकारक पंथ को त्याग कर परमेश्वर की शरण में अविलम्ब आएगा तथा अपने सम्पर्क के सर्व श्रद्धालुओं का भी काल ब्रह्म के जाल से मुक्त कराने हेतु परमेश्वर का यथार्थ भक्ति मार्ग प्राप्त कराएगा। इस प्रकार मानव सत्यभक्ति करके पूर्ण मोक्ष प्राप्त करेगा तथा अपने पूर्व वाले स्थान सत्यलोक में अमर जीवन प्राप्त करेगा।
सार ज्ञान तब तक छिपाई, जब तक द्वादश पंथ न मिट जाई।।
उपरोक्त चैपाईयों का भावार्थ है कि कबीर परमेश्वर जी अपने प्रिय भक्त धर्मदास जी को विशेष निर्देश दे रहे हैं कि हे धर्मदास। तुझे लाख सौगंध है कि आप इस तत्व ज्ञान को तेरे और मेरे अतिरिक्त अन्य किसी को नहीं समझाना। इसे लीपीबद्ध कर ले। आप के वंश में तथा अन्य बारह पंथ काल ब्रह्म इसी ज्ञान के आधार से चलाएगा। परन्तु मेरी कृपा से कोई भी इस तत्वज्ञान को यथार्थ रूप से न समझ पाऐंगे। वे अपनी-2 समझ से इसका विपरीत अर्थ लगा कर एक दुसरे से वाद-विवाद करते रहेगें अपना-2 मत चलाकर भ्रमित रहेगें। यदि आप किसी को यह तत्वज्ञान बताओगे वह तुरन्त समझ जाएगा तथा यह तत्व भेद को समय
से पूर्व काल ब्रह्म के दूतों के हाथ लग जाएगा। जिस समय बिचली पीढ़ी प्रारम्भ होगी तब ज्ञान भी भिन्न न होने के कारण काल ब्रह्म का दाव लग जाएगा। कोई जीव हमारी शरण न आ पावेगा। इसलिए यह तत्वज्ञान तब तक गुप्त रखना है। मेरा तत्वज्ञान अन्य लोक वेद अर्थात् अज्ञान को ऐसे नष्ट कर देगा जैसे तोप यन्त्र का गोला जहाँ भी गिरता है। वहाँ की सर्व भवनों व किलों को ढहाकर मैदान कर देता है।
वर्तमान समय तक काल के सर्व पंथ चल चुके हैं। वे पंथ प्रवर्तक क्या ज्ञान बताते हैं ? वह उनके द्वारा लिखी पुस्तकों में विद्यमान है। बुद्धिमान वा शिक्षित व्यक्ति तुरन्त तत्वज्ञान की तुला में तोल कर देख लेगा तथा उस काल ब्रह्म के हानिकारक पंथ को त्याग कर परमेश्वर की शरण में अविलम्ब आएगा तथा अपने सम्पर्क के सर्व श्रद्धालुओं का भी काल ब्रह्म के जाल से मुक्त कराने हेतु परमेश्वर का यथार्थ भक्ति मार्ग प्राप्त कराएगा। इस प्रकार मानव सत्यभक्ति करके पूर्ण मोक्ष प्राप्त करेगा तथा अपने पूर्व वाले स्थान सत्यलोक में अमर जीवन प्राप्त करेगा।
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