Tuesday 4 August 2015

उसे किसी काल मैं कुछ भी भय नही

कायर का घर फूस का, भभकी चाहूँ पछित
सुरा के कछु डर नहीं, गज गिरी की भीत
,,,,,,,,,,कायर ( साधना क्षेत्र से भागने वाले अज्ञानी ) का घर तो फूंस का बना हुआ जेसा है, जो की आग ज़रा सी चिंगारी से भभक उठता है ( अर्थात उसकी स्थिति इतनी दुर्लब है जो तनिक सी क़ठिनाई परीक्षा अग्नि ) मैं स्वाहा हो जाती है, परन्तु उस शूरवीर ( सन्त ) को कुछ भी डर नही है,जिसकी दीवार हाथी के भी चाड़ने से भी नही गिरती ( अर्थात जिसकी साधना स्थिति सुद्ृाड है, उसे किसी काल मैं कुछ भी भय नही

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