रामेच्छा में हो रहे सभी नियम से काम ;
बांका बाल न हो कभी जो राखे श्री राम !
भक्त अपने शत्रु का भी बुरा नहीं सोचता !प्रहलाद की बुआ जिसे वरदान है कि उसे अग्नि जला नहीं सकती ;प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाती है !बुआ जल गई है लेकिन प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हुआ है !प्रहलाद आज निराश है कि बुआ जल कर मर गई है ;अपने गुरू महाराज महर्षि नारद को याद किया है !गर्भ से ही नारद जी प्रहलाद के गुरू हैं ;नारद जी जानते थे कि क्याधु के गर्भ में एक भक्त पल रहा है अतः उसे गर्भ में ही दीक्षा दे दी !
प्रहलाद द्वारा याद किये जाने पर महर्षि नारद आ गये हैं ;प्रहलाद कहते हैं -गुरूदेव मेरे कारण सब लोग कष्ट क्यों भोग रहे हैं ;मेरी बुआ भी जल कर मर गई है !महर्षि नारद कहते हैं -बेटा ये सब अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं !नारद जी पूछते हैं -बेटा जब ये लोग तुझे कष्ट देते हैं तो क्या तुझे डर नहीं लगता ?
प्रहलाद कहते हैं -महाराज आपने ही तो बताया था कि भक्ति के दो पहलू होते हैं !एक यह कि जब कोई विपत्ति आती है तो भक्त की परीक्षा होती है कि वह विपत्ति के समय अपने राम पर भरोसा करता है या नहीं ;या फिर कभी किसी के पास कभी किसी के पास भटकता फिरता है !दूसरा भगवान की परीक्षा होती है कि वह समय पर अपने भक्त की रक्षा के लिये पहुँचता है या नहीं !
सत्य मानियेगा साधकजनों भगवान अपने भक्त की आन बचाने में एक पल की भी देर नहीं लगाते ;बस उनके भक्त बनियेगा !
बांका बाल न हो कभी जो राखे श्री राम !
भक्त अपने शत्रु का भी बुरा नहीं सोचता !प्रहलाद की बुआ जिसे वरदान है कि उसे अग्नि जला नहीं सकती ;प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाती है !बुआ जल गई है लेकिन प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हुआ है !प्रहलाद आज निराश है कि बुआ जल कर मर गई है ;अपने गुरू महाराज महर्षि नारद को याद किया है !गर्भ से ही नारद जी प्रहलाद के गुरू हैं ;नारद जी जानते थे कि क्याधु के गर्भ में एक भक्त पल रहा है अतः उसे गर्भ में ही दीक्षा दे दी !
प्रहलाद द्वारा याद किये जाने पर महर्षि नारद आ गये हैं ;प्रहलाद कहते हैं -गुरूदेव मेरे कारण सब लोग कष्ट क्यों भोग रहे हैं ;मेरी बुआ भी जल कर मर गई है !महर्षि नारद कहते हैं -बेटा ये सब अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं !नारद जी पूछते हैं -बेटा जब ये लोग तुझे कष्ट देते हैं तो क्या तुझे डर नहीं लगता ?
प्रहलाद कहते हैं -महाराज आपने ही तो बताया था कि भक्ति के दो पहलू होते हैं !एक यह कि जब कोई विपत्ति आती है तो भक्त की परीक्षा होती है कि वह विपत्ति के समय अपने राम पर भरोसा करता है या नहीं ;या फिर कभी किसी के पास कभी किसी के पास भटकता फिरता है !दूसरा भगवान की परीक्षा होती है कि वह समय पर अपने भक्त की रक्षा के लिये पहुँचता है या नहीं !
सत्य मानियेगा साधकजनों भगवान अपने भक्त की आन बचाने में एक पल की भी देर नहीं लगाते ;बस उनके भक्त बनियेगा !
effective story about the lord rama
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