हम जिन चीजों अथवा बातों से भयभीत हो जाते हैं, उन्हें हमारा अवचेतन मस्तिष्क देर-सबेर साकार कर देता है और यूँ हम खुद के निर्मित "भस्मासुर" से बचने के लिए यहाँ-वहाँ भागते फिरते हैं परन्तु जब तक भीतर छुपे भय को हिरण्यकश्यप की भाँति ढूँढकर उसका वजूद समाप्त नहीं कर देगें....इसी तरह आजीवन "कष्टनिवारण-संजीवनी" खोजते-खोजते कस्तूरी-मृग की तरह भागते ही फिरेंगें .... !!
वास्तव में यह एक ध्रुव सत्य है कि समस्या के भीतर ही समस्या का समाधान भी छिपा होता है, जरूरत है तो सिर्फ उसे शांतचित्त होकर खोजने की....न कि समस्या से भयभीत होते रहने की ....
वास्तव में यह एक ध्रुव सत्य है कि समस्या के भीतर ही समस्या का समाधान भी छिपा होता है, जरूरत है तो सिर्फ उसे शांतचित्त होकर खोजने की....न कि समस्या से भयभीत होते रहने की ....
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