Tuesday, 29 April 2014

जो नर मोहे परमेश्वर उचरही

सिख गुरु ओपचारिक शिक्षा विन आत्म ज्ञान व् अनुभव द्वारा देश काल परिष्ठितियो में महान कार्य कर हमे जीवन दे गये ।
गुरु कथन :-
"जो नर मोहे परमेश्वर उचरही।
वे सब घोर नर्क में परही ।।
हम हे परम पुरुष के दासा।
देखन आये जगत तमाशा ।।"
"मानस कीजाती सबे एकेइ पहचानो 
पूर्ण जोत जगे मन में खालिस ताहि निखालिस जानो।"
वाहर भीतर एकु सच हे-ये गुरु ज्ञान जताई रे ।
जनि नानक बिन आपा चीहे कटे न भ्रम की कई रे ।।
आपो जाने आपो -आप -रोग न व्यापे तीनो ताप ।
गुरु बाणी 32संत कविओ की वाणी हे ।जिन्होउने आत्म अनुभव ज्ञान लोक भाषा में व्यक्त किया हे ।
एक संसारी-ब्रह्मा -जगत उत्पत्ति कर्ता -the generator
दूसरा भंडारी-विष्णु -शरुष्टि संचा लन कर्ता -ऑपरेटर
तीसरा दीवान -महेश-न्याय्काती क्ल्यान्कारी पापो पर दंड देने वाला प्रलय कर्ता the destroye
स्वामी दयानंद ने सत्यार्थ प्रकाश में परमात्मा के 100नमो की गुणों के अनुसार चर्चा की हे ।
"एको पुरुषो वहुधा वदन्ति"
एक अकाल पुरुष को पाने के लिए "ओंकार"के जाप की महिमा व्तायी हे।
निराकार निरंजन के वल पर "जिस खालसा राज जन्हा आकी रहे न कोय की वात की हे वः राम राज्य हे ।"

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