Thursday, 1 May 2014

प्रभु की आज्ञा की अवहेलना है।

विशेष विचार:- पवित्र यजुर्वेद अध्याय 36 मन्त्र 3 (जिसे गायत्री मन्त्र कहा है) की रटना लगाना (आवृत्ति करना) तो केवल परमात्मा के गुणों से परिचित होना मात्र है। उस परमात्मा की प्राप्ति की विधि भिन्न है। पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मन्त्र 10 में तथा पवित्र गीता जी अध्याय 4 मन्त्र (श्लोक) 34 में कहा है कि तत्व ज्ञान को समझने अर्थात् पूर्ण परमात्मा को प्राप्त करने के ज्ञान को तत्वदर्शी सन्तों से पूछो। पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति की विधि को वेद व गीता ज्ञान दाता प्रभु भी नहीं जानता। केवल अपनी साधना (ब्रह्म साधना) का ज्ञान गीता अध्याय 8 मन्त्र (श्लोक) 13 में तथा यजुर्वेद अध्याय 40 मन्त्र (श्लोक) 15 में कहा है। ओम् (ॐ ) नाम का जाप अकेला करना होता है किसी वाक्य के साथ लगा कर करने से मोक्ष प्राप्ति नहीं होती। इसीलिए गीता अध्याय 8 मन्त्र (श्लोक) 13 में कहा है कि मुझ ब्रह्म का तो केवल एक ओम् (ॐ) अक्षर है अन्य नहीं है, उसका उच्चारण करके स्मरण करना है। यजुर्वेद अध्याय 36 मंत्र (श्लोक) 3 में भी ओम् (ॐ) मंत्र नहीं है। यह तो शास्त्र विरूद्ध साधना बताने वालों ने जोड़ा है जो अनुचित है। प्रभु की आज्ञा की अवहेलना है। यदि कोई अज्ञानी व्यक्ति किसी मोटर गाड़ी के पिस्टन के साथ नट वैल्ड कर के कहे कि यह पिस्टन अधिक उपयोगी है तो क्या वह व्यक्ति इन्जीनियर है ? यही दशा अज्ञानी  सन्तों की है जो ओम् (ॐ) अक्षर को किसी वाक्य के साथ लगा कर कहते हैं कि अब यह मन्त्र अधिक उपयोगी बन गया है। जो शास्त्र विरुद्ध होने से मन-माना आचरण (पूजा) है। 
पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23,24 में लिखा है कि - शास्त्र विधि त्याग कर मन-माना आचरण (पूजा) करने वाले साधक को न तो सुख होता है, न कार्य सिद्ध तथा न उनकी गति होती है। इसलिए भक्ति के लिए शास्त्रों को आधार मान कर सत्य का ग्रहण करें, असत्य का परित्याग करें।
उदाहरण:- जैसे विद्युत के गुण हैं कि बिजली पंखा चलाती है, अंधेरे को उजाले में बदल देती है, आटा पीस देती है आदि-आदि। इस वाक्य को बार-2 रटन से बिजली के उपरोक्त गुणों का लाभ प्राप्त नहीं हो सकता। बिजली का कनैक्शन लेना होता है। कनैक्शन लेने की विधि उपरोक्त महिमा से भिन्न है। बिजली का कनैक्शन लेने के बाद उपरोक्त सर्व लाभ बिजली से स्वतः प्राप्त हो जाऐंगे।


इसी प्रकार सद्ग्रन्थों के अमृत ज्ञान से परमात्मा की महिमा का ज्ञान होता है। उसे एक बार पढे़ं या सौ बार। यदि परमात्मा से लाभ प्राप्त करने की विधि पूर्ण सन्त से प्राप्त नहीं की तो सर्व ज्ञान व्यर्थ है। जैसे कोई कहे कि ‘‘खाले रे औषधि स्वस्थ हो जाएगा’’ इसी की रटना लगाता रहे (आवृत्ति करता रहे) और औषधी खाए नहीं तो स्वस्थ नहीं हो सकता। पूर्ण वैद्य से औषधि लेकर खाने से ही रोग मुक्त हो सकता है। इसी प्रकार पूर्ण सन्त से पूर्ण नाम जाप विधि प्राप्त करके गुरू मर्यादा में रह कर साधना करने से ही पूर्ण मोक्ष सम्भव है। वह पूर्ण मोक्ष दायक, पाप विनाशक शास्त्रानुकूल पूर्ण परमात्मा की भक्ति विधि जगत गुरू तत्वदर्शी सन्त रामपाल दास के पास है जो प्रभु प्रदत्त है। कृप्या निःशुल्क व अविलंब प्राप्त करें। अज्ञानी सन्तों व ऋषियों द्वारा बताई शास्त्राविधि रहित साधना में अपना अनमोल मानव जीवन न गंवाऐं। कबीर परमेश्वर (कविर्देव) ने कहा है ! 


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