गीता एक सर्वमान्य और प्रमाणस्वरूप अलौकिक ग्रन्थ है | एक छोटे-से आकार में इतना विशाल योग-भक्ति-ज्ञान से पूर्ण ग्रन्थ संसार की प्रचलित भाषाओं में दूसरा कोई नहीं है | इसमें सम्पूर्ण वेदों का सार संग्रह किया हुआ है | इसका संस्कृत बहुत ही मधुर, सरस, सरल और रुचिकर है | इसकी भाषा बहुत ही उत्तम एवं रहस्ययुक्त है | दुनिया की किसी भी भाषा में ऐसा सुबोध ग्रन्थ नहीं है | मनुष्य थोड़ा अभ्यास करने से भी सहज ही इसको समझ सकता है; परन्तु इसका आशय इतना गूढ़ और गंभीर है कि आजीवन निरंतर अभ्यास करते रहने पर भी उसका अंत नहीं आता,वरं प्रतिदिन नये-नये भाव उत्पन्न होते रहते है; इससे वह सदा नवीन ही बना रहता है |
गीता में सभी धर्मों का सार भरा हुआ है | संसार में जितने भी ग्रन्थ हैं, उनमें गीता-जैसे गूढ़ और उन्नत विचार कहीं दृष्टिगोचर नहीं होते | गीता के साथ तुलना की जाय तो उसके सामने जगतका समस्त ज्ञान तुच्छ है | गीता वर्तमान समय में भी शिक्षित-अशिक्षित, भारतीय या भारतेतर सभी समुदायों के लिए सर्वथा उपयुक्त ग्रन्थ है | गीता-जैसे विलक्षण एकता तथा समता सिखानेवाला अपूर्व उपदेश कहीं नहीं दिखायी पड़ता | गागर में सागर की भांति थोड़े में ही अनन्त तत्त्व-रहस्य से भरा हुआ ग्रन्थ अन्य नहीं देखने में आता |
गीता का उपदेश बहुत ही उच्चकोटि का है | गीता में सबसे ऊँचा ज्ञान, सबसे ऊँची भक्ति और सबसे ऊँचा निष्कामभाव भरा हुआ है | गीता के उपदेश को देखकर मनुष्य के हृदय में स्वाभाविक ही यह प्रभाव पड़ता है कि यह मनुष्य रचित नहीं है|
........गीता एक उच्चकोटि का दर्शनशास्त्र है | यह सिद्धान्त-रत्नों का सागर है | इसके अध्ययन से नित्य नए उच्चकोटि के भाव-रत्न प्राप्त होते रहते है | गीता का श्रद्धा-प्रेमपूर्वक गायन करने से इतना रस आता है कि उसके सामने सारे रस फीके हैं |
गीता मनुष्य को नीचे-से-नीचे स्थान से उठाकर ऊँचे-से-ऊँचे परमपद पर आरूढ़ करानेवाला एक अद्भुत प्रभावशाली ग्रन्थ है | मनुष्य जब कभी किसी चिंता, संशय और शोक में मग्न हो जाता है और उसे कोई रास्ता दिखायी नहीं पड़ता, उस समय गीता के श्लोकोंके अर्थ और भावपर लक्ष्य करने से वह निश्चिन्त, नि:संशय और शोकरहित होकर प्रसन्नता और शान्ति को प्राप्त हो जाता है |
गीता में सभी धर्मों का सार भरा हुआ है | संसार में जितने भी ग्रन्थ हैं, उनमें गीता-जैसे गूढ़ और उन्नत विचार कहीं दृष्टिगोचर नहीं होते | गीता के साथ तुलना की जाय तो उसके सामने जगतका समस्त ज्ञान तुच्छ है | गीता वर्तमान समय में भी शिक्षित-अशिक्षित, भारतीय या भारतेतर सभी समुदायों के लिए सर्वथा उपयुक्त ग्रन्थ है | गीता-जैसे विलक्षण एकता तथा समता सिखानेवाला अपूर्व उपदेश कहीं नहीं दिखायी पड़ता | गागर में सागर की भांति थोड़े में ही अनन्त तत्त्व-रहस्य से भरा हुआ ग्रन्थ अन्य नहीं देखने में आता |
गीता का उपदेश बहुत ही उच्चकोटि का है | गीता में सबसे ऊँचा ज्ञान, सबसे ऊँची भक्ति और सबसे ऊँचा निष्कामभाव भरा हुआ है | गीता के उपदेश को देखकर मनुष्य के हृदय में स्वाभाविक ही यह प्रभाव पड़ता है कि यह मनुष्य रचित नहीं है|
........गीता एक उच्चकोटि का दर्शनशास्त्र है | यह सिद्धान्त-रत्नों का सागर है | इसके अध्ययन से नित्य नए उच्चकोटि के भाव-रत्न प्राप्त होते रहते है | गीता का श्रद्धा-प्रेमपूर्वक गायन करने से इतना रस आता है कि उसके सामने सारे रस फीके हैं |
गीता मनुष्य को नीचे-से-नीचे स्थान से उठाकर ऊँचे-से-ऊँचे परमपद पर आरूढ़ करानेवाला एक अद्भुत प्रभावशाली ग्रन्थ है | मनुष्य जब कभी किसी चिंता, संशय और शोक में मग्न हो जाता है और उसे कोई रास्ता दिखायी नहीं पड़ता, उस समय गीता के श्लोकोंके अर्थ और भावपर लक्ष्य करने से वह निश्चिन्त, नि:संशय और शोकरहित होकर प्रसन्नता और शान्ति को प्राप्त हो जाता है |
No comments:
Post a Comment