Sunday, 25 May 2014

वह हमें दुर्गुणों से बचावें

परम-पिता परमात्मा से प्रार्थना की गई है कि वह हमें दुर्गुणों से बचावें और सद्गुणों की ओर प्रवृत्त करें। परमात्मा मनुष्य को आत्मिक शक्ति देता है, जिससे वह दुर्गुणों और दुर्विचारों से अलग रहता है, अपने-आपको बचाता है। यह शक्ति ईश-प्रार्थना और ईश्वरोपासना से आती है। जब ईश्वरीय-कृपा से मनुष्य दुर्गुणों से दूर होकर सद्गुणों की ओर प्रवृत्त हो जाता है, तो उसके जीवन में कायाकल्प हो जाता है। वह अब उत्तम सोचता, बोलता और करता है। वह समाज, राष्ट्र को उत्तम करने का प्रयास करता है। इस प्रकार उसका जीवन उत्तम हो जाता है। इसको ही "उदायुषा" (उत्तम आयु) और "स्वायुषा" (सुन्दर आयु) शब्दों के द्वारा वर्णन किया गया है। इस उत्तम आयु का फल होता है कि मनुष्य अपने लक्ष्य अमरत्व और मोक्ष की ओर प्रवृत्त कर लेता है। सत्कर्मों से मानव-जीवन में अमृतत्व की प्राप्ति हो जाती है। उसके जीवन में देवत्व की भावना आ जाती है।

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