Saturday, 24 May 2014

मैं नर हूँ तुम नारायण हो

अब सौंप दिया इस जीवन का,सब भार तुम्हारे हाँथों में !
है जीत तुम्हारे हाथों में, है हार तुम्हारे हाथों में !!1!!

मेरा निश्चय है एक यही, इक बार तुम्हें पा जाऊँ मैं !
अर्पण कर दूँ जगती भर का, सब प्यार तुम्हारे हाथों में !!2!!

या तो मैं जग से दूर रहूँ, और जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ !
इस पार तुम्हारे हाथों में, उस पार तुम्हारे हाँथों में !!3!!

यदि मानुष ही मुझे जन्म मिले, तो तव चरणों का पुजारी रहूँ।
मुज पूजक की इक-इक रग का, हो तार तुम्हारे हाथों में !!4!!

जब-जब संसार का बन्दी बन, दरबार में तेरे आऊँ मैं !
मेरे पापों का निर्णय हो, सरकार तुम्हारे हाथों में !!5!!

मुझमें तुझमें है भेद यही , मैं नर हूँ तुम नारायण हो !
मैं संसार के हाथों में, संसार तुम्हारे हाथों में !!6!!

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