कहे कबीर जब जान्या, जब जान्या तो मन मान्या
मनमाने लोग नही पतीजे, नही पतिजे तो हम का कीजे
कबीरदास जी :- जब मैंने परमात्मा को अपने शरीर के भीतर देखा, जाना तभी मेरा मन परमात्मा को मानने लगा, मुझे विश्वास हुआ की सच में परमात्मा मानने का नही बल्कि उसे देखा भी जाता है, एक पूर्ण सतगुर के द्वारा, और यदि मनमाने लोग इस बात को नही मानते, लोग केवल परमात्मा को मानने तक ही सीमित है, इश्वर को मानो नही, बल्कि उसको जानो देखो एक पूर्ण गुरु की किरपा से जो आपको इश्वर का उसी समय दर्शन करवा दे.
मनमाने लोग नही पतीजे, नही पतिजे तो हम का कीजे
कबीरदास जी :- जब मैंने परमात्मा को अपने शरीर के भीतर देखा, जाना तभी मेरा मन परमात्मा को मानने लगा, मुझे विश्वास हुआ की सच में परमात्मा मानने का नही बल्कि उसे देखा भी जाता है, एक पूर्ण सतगुर के द्वारा, और यदि मनमाने लोग इस बात को नही मानते, लोग केवल परमात्मा को मानने तक ही सीमित है, इश्वर को मानो नही, बल्कि उसको जानो देखो एक पूर्ण गुरु की किरपा से जो आपको इश्वर का उसी समय दर्शन करवा दे.
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