Friday, 25 April 2014

दासो का दास ही बना लो

कान्हा जी हमे अपनी पायल नही तो पायल का एक घुँघरू ही बना लो और उसे अपने चरण कमलों से लगा लो कान्हा जी हमे अपने कंगन नही तो कंगन में जड़ा हुआ एक पत्थर ही बना दो और उसे अपनी प्यारी कलाईयों में सजा लो कान्हा जी हमेअपनी मुरली नही तो अपनी मुरली की कोई धुन ही बना लो और उसे अपने अधरों से इक बार तो बजा लो कान्हा जी हमे अपना मित्रनही तो दासो का दास ही बना लो यूं कुछ कृपा दृष्टि हम पर बर्षा दो कान्हा जी और कुछ नही तो अपने चरणों की धूल ही बना लो वो चरणधूल फिर ब्रज में उड़ा दो सच कहूँ मेरे कान्हा जी देखना फिर चरणों की धूलकण बन कैसे इतराऊ

कान्हा जी हमे अपनी पायल नही तो पायल का एक घुँघरू ही बना लो
और उसे अपने चरण कमलों से लगा लो
कान्हा जी हमे अपने कंगन नही तो
कंगन में जड़ा हुआ एक पत्थर ही बना दो
और उसे अपनी प्यारी कलाईयों में सजा लो
कान्हा जी हमेअपनी मुरली नही तो
अपनी मुरली की कोई धुन ही बना लो
और उसे अपने अधरों से इक बार तो बजा लो
कान्हा जी हमे अपना मित्रनही तो दासो का दास ही बना लो
यूं कुछ कृपा दृष्टि हम पर बर्षा दो
कान्हा जी और कुछ नही तो अपने चरणों की धूल ही बना लो
वो चरणधूल फिर ब्रज में उड़ा दो
सच कहूँ मेरे कान्हा जी देखना फिर चरणों की धूलकण बन कैसे इतराऊ 

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