इस रजोगुण रूपी गर्व ने किस किस का स्थान भ्रष्ट नही किया, हिरण्यकशिपु,,, हिरण्याक्ष,, आदि देत्यो तथा रावण,, कुम्भकर्ण ,,का इसने कुल नाश ही कर दिया, कन्स , केशी,, चानूर,, महान बलवान थे किंतु इस गर्व ने इन्हें निर्जीव करके यमुना जल मैं डुबो दिया , गर्व वश ये मारे गये ओर इनकी भस्म यमुना मैं बह गयी,, राजसूय यझ के समय शिशु पाल जेसा योद्धा गर्व के कारण बिना पॅरिश्रम मारा गया ओर उसकी ज्योति श्री कृष्ण जी के चरणों मैं लीन हो गई ,,, इस गर्व के कारण ही ब्रहां देवराज इंद्र,,देवगन गर्व के महामद से ही भ्रमित होकर ही नाचते फिरते हैं किन्तु जो भाव से भगवान जी की शरण ग्रहण कर लेता है वही हरि भ्गत ही निशिचन्त हो कर भर नींद सोता ( पूरा सुखद विश्राम पता ) है
जय श्री कृष्णा
जय श्री कृष्णा
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