जेसे रोगी का उदेश्य निरोग होना होता है, एसे ही मनुष्य का उदेश्य अपना कल्याण करना है
जब साधक का एक मात्र उदेश्य परमात्म प्राप्ति का हो जाता है तब उसके पास जो भी सामग्री होती है वह सब साधन रूप ही हो जाती है
कर्म योग, ज्ञान योग, ध्यान योग, भ्ग्ति योग, आदि सभी साधनों मैं एक मजबूत इरादे या उदेश्य की बड़ी आश्यकता होती है
यदि अपने कल्याण का उदेश्य ही मजबूत नहीं होगा तो इनमें जीतने भी साधन हैं उसकी सिध्दि केसे मिलेगी
एक परमात्म प्राप्ति का उदेश्य होने पर कोई भी साधन छोटा या बड़ा नहीं होता
जय श्री कृष्णा
जब साधक का एक मात्र उदेश्य परमात्म प्राप्ति का हो जाता है तब उसके पास जो भी सामग्री होती है वह सब साधन रूप ही हो जाती है
कर्म योग, ज्ञान योग, ध्यान योग, भ्ग्ति योग, आदि सभी साधनों मैं एक मजबूत इरादे या उदेश्य की बड़ी आश्यकता होती है
यदि अपने कल्याण का उदेश्य ही मजबूत नहीं होगा तो इनमें जीतने भी साधन हैं उसकी सिध्दि केसे मिलेगी
एक परमात्म प्राप्ति का उदेश्य होने पर कोई भी साधन छोटा या बड़ा नहीं होता
जय श्री कृष्णा
No comments:
Post a Comment