मेरा मन ही जनता है के मैं कितना पवित्र हूँ ओर कितना अशुध
कियू के मैं तो दूसरों के सामने अपनी श्रेष्टता ही सिध करने की कोशिश करता हूँ अपनी वाणी ओर प्रभाव से उन्हें यकीन भी करा देता हूँ बारबार इस भरम के कारंण मैं खुद भी भर्मित्त हो कर खुद को दूसरों अच्छा अनुभ्व करलेता हूँ
इसी भर्म मैं जीवन ओर कर्म बिगाड़ लेता हूँ
जय श्री कृष्णा
कियू के मैं तो दूसरों के सामने अपनी श्रेष्टता ही सिध करने की कोशिश करता हूँ अपनी वाणी ओर प्रभाव से उन्हें यकीन भी करा देता हूँ बारबार इस भरम के कारंण मैं खुद भी भर्मित्त हो कर खुद को दूसरों अच्छा अनुभ्व करलेता हूँ
इसी भर्म मैं जीवन ओर कर्म बिगाड़ लेता हूँ
जय श्री कृष्णा
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