- जो अपने सुख के लिए वस्तुओं की इच्छा करता है उसको वस्तुओं के अभाव का दुख तो भोगना ही पड़ेगा
चाहे साधु बनो चाहे घर मैं रहो (जब तक कामना ) कुछ पाने की इच्छा रहेगी तब तक शान्ति नही मिल सकती
अगर शान्ति चाहते हो तो , यों होना चाहिय यों नहीं होना चाहिय, इसको छोड़ दो ओर जो भगवान चाहे वही होना चाहिये इसको स्वीकार कर लो समझो आप का काम बन गया
जय श्री कृष्णा
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