अब तो चेत प्राणी,
बहुत जन्म भटके दुख पाया सुख की आस लगानी,
विशय भोग लालसा ऩहीँ छूटे ना छूटी आवन जानी,
पर धन पर त्रिया हिर्धे बसावे विसारेया शारिंग पाणी,
जय श्री कृष्णा
बहुत जन्म भटके दुख पाया सुख की आस लगानी,
विशय भोग लालसा ऩहीँ छूटे ना छूटी आवन जानी,
पर धन पर त्रिया हिर्धे बसावे विसारेया शारिंग पाणी,
जय श्री कृष्णा
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