श्री हरि - गोविन्द नाम धुन जब लग जायगी तब यह काया भी गोविन्द बन जायगी भगवान से कोई दुराई कोई भेद भाव नहीं रह जायेगा मन आनन्द से उच्छल ने लगेगा नेत्रों से प्रेम बहने लगेगा कीट भ्रंग बन कर जेसे कीट रूप मैं फिर अलग नही रहता वेसे तुम भी भगवान से अलग नही रहोगे हरि ॐ तत्सत नमा शिवाय
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