भगवान की प्राप्ति करने के लिय कोई भी साधन अपनाओ , कोई भी विधि अपनाओ लेकिन भाव से किसी ढंग तो अपनाना ही पड़ेगा
जेसे बालक छोटा हो ओर उसे भूख लगी हो मजेदार बात यह है के भोजन भी पास ही हो लेकिन उसे खाने का ढंग मालूम ना हो तो सोचो क्या वह उस भोजन खो खा सकता है कभी भी नही
अब देखो भूख भी है ओर भोजन भी है दोनो चीज़ें मोजूद हैं लेकिन खाने का ढंग मालूम नहीं तो भूखा ही रहना पड़ेगा
यदि उसी समय माँ आ जाय तो माँ को बच्चे की भूख का भी पता है ओर खिलाने का ढंग भी पता है इसी तरहा
जीव भी बहुत भजन करता है लेकिन कुछ इच्छा पूर्ति ओर कुछ आभास के सिवाय ओर कुछ भी नहीं होता
यदि इसी समय गुरुदेव का मिलन हो जाए तो उसे जीव की कई जन्मों से प्रभु प्राप्ति की प्यास का भी पता है ओर ढंग भी पता है तो फिर जीव का भर्म दूर हो कर उसे ब्रहां बनने मैं कितना समय लगेगा
जय श्री कृष्णा
जेसे बालक छोटा हो ओर उसे भूख लगी हो मजेदार बात यह है के भोजन भी पास ही हो लेकिन उसे खाने का ढंग मालूम ना हो तो सोचो क्या वह उस भोजन खो खा सकता है कभी भी नही
अब देखो भूख भी है ओर भोजन भी है दोनो चीज़ें मोजूद हैं लेकिन खाने का ढंग मालूम नहीं तो भूखा ही रहना पड़ेगा
यदि उसी समय माँ आ जाय तो माँ को बच्चे की भूख का भी पता है ओर खिलाने का ढंग भी पता है इसी तरहा
जीव भी बहुत भजन करता है लेकिन कुछ इच्छा पूर्ति ओर कुछ आभास के सिवाय ओर कुछ भी नहीं होता
यदि इसी समय गुरुदेव का मिलन हो जाए तो उसे जीव की कई जन्मों से प्रभु प्राप्ति की प्यास का भी पता है ओर ढंग भी पता है तो फिर जीव का भर्म दूर हो कर उसे ब्रहां बनने मैं कितना समय लगेगा
जय श्री कृष्णा
No comments:
Post a Comment