सर्गुन निर्गुन निरन्कार सुन्न समाधि आप
आपना किया नानका आपे ही फिर जाप
पहले पाठ, फिर जाप, फिर आप ही आप,
अपने दर्शन से ही सबका दर्शन है,
प्रभु जी पूरण गुरु कभी भी ना अपने ध्यान की बात करेगा ओर ना ही भगवान जी के दर्शन की
वह तो यही कहेगा के ध्यान करो ओर अपना दर्शन आप करो कियू के हमसे अलग तो बर्ह्म कोई हे ही नही
वह तो व्यापक है ओर हम भी व्यापक हैं
अपने दर्शन के बाद अपने को जोत स्वरूप बनाओ ओर फिर उस जोत को पूर्ण व्यापक मैं मिला दो ओर जितनी देर तक हो सके उसमें मिले रहो ओर फिर वापिस आ जाओ कियू के हमारे प्राण नाभि से बँधे होते हैं इसलिय वापिस तो आना ही पड़ेगा यही है ब्रहां ज्ञान
जय श्री कृष्णा
आपना किया नानका आपे ही फिर जाप
पहले पाठ, फिर जाप, फिर आप ही आप,
अपने दर्शन से ही सबका दर्शन है,
प्रभु जी पूरण गुरु कभी भी ना अपने ध्यान की बात करेगा ओर ना ही भगवान जी के दर्शन की
वह तो यही कहेगा के ध्यान करो ओर अपना दर्शन आप करो कियू के हमसे अलग तो बर्ह्म कोई हे ही नही
वह तो व्यापक है ओर हम भी व्यापक हैं
अपने दर्शन के बाद अपने को जोत स्वरूप बनाओ ओर फिर उस जोत को पूर्ण व्यापक मैं मिला दो ओर जितनी देर तक हो सके उसमें मिले रहो ओर फिर वापिस आ जाओ कियू के हमारे प्राण नाभि से बँधे होते हैं इसलिय वापिस तो आना ही पड़ेगा यही है ब्रहां ज्ञान
जय श्री कृष्णा
No comments:
Post a Comment