Saturday, 5 April 2014

हमें भगवान को नहीं बल्कि अपने आप को खोजना होता है ,

प्रभु जी भगवान तो सर्वत्र व्यापक है,,,हमें भगवान को नहीं बल्कि अपने आप को खोजना होता है ,वह तो रोम प्रति रोम मैं विराज मान है,,, 
जेसे एक सन्त जी ने बहुत ही खूब कहा है
दादू दुनियाँ बावरी सब की गठरी लाल,
गाँठ खोलत देखत नहीं इस बीद रहे कन्गाल,

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