Friday, 4 April 2014

यही बन्दन का कारण है

स्वामी जी यदि लोभ वश् किसी का अहित किया है वासना वश ,,, अह्न्कार वश किसी का दिल दुखाया है तो दुखी तो होना ही पड़ेगा आप जी ने कहा के हम अपने बलबूते पर सफ़ल हुए है तो यह तो अह्न्कार का प्रतीक हुआ ओर अह्न्कार भगवान को पसन्द नही इसमें तो करता पन का भाव भी दिखता है ., यह तो समर्पण नही हुआ सन्सार मैं जीतने भी देवता हैं उनके पास तन नहीं ओर जितनी भी योनिया है उनके पास मन नही, एक मनुष्य ही है जिसके पास तन भी है ओर मन भी है,,
ओर दोष सिर्फ़ इतना है एक वोह करता पन का भाव जीवन भर नही छोड़ता यही बन्दन का कारण है
जय श्री कृष्णा

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