Tuesday, 8 April 2014

उसे हम अध्यात्मिक हकते हैं

पंच तत्व और आनन्दमय मानव जीवन !!
पाँच तत्वों को मिलाकर पंच तत्व बना है !
जो इस प्रकार है :
पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश ! पंच तत्व का वैज्ञानिक सिद्धांत के आधार पर अध्ययन करने पर स्थूल से सूक्षम, भौतिक से आध्यात्मिक का अनुभव और दर्शन होता है !

मानव जीवन में पंच तत्व का सिद्धांत अमूल्य है !
यह संसार पंच तत्व से बना है और मानव शरीर भी मूलतः पंचतत्व से ही बना है ! 
पंचतत्व के संतुलन से मानव शरीर स्वस्थ्य रहता है और मानव जीवन आनन्दमय रहता है ! 

योग्य स्त्री पुरुष के संयोग से मानव जीव का पंच तत्व धारण एवं निर्माण पूर्ण रूप से स्त्री के गर्भ में हो जाता है ! 

पंच तत्व भौतिक और अध्तामिक दोनों का मिश्रण है ! 

जिसे हम साधारण नेत्रों(आँखों) से देखते हैं, उसे हम भौतिक कहते हैं और जिसे हम ज्ञान और इन्द्रियों से अनुभव करते हैं या दिव्य दृष्टि से देखते है उसे हम अध्यात्मिक हकते हैं ! 

अतः मानव शरीर भौतिक और अध्यात्मिक दोनों है ! परन्तु जब हम पंचत्व का गहरी अध्ययन करते हैं, तो हमें ज्ञात होता है की मानव शारीर और संसार दोनों पूर्ण रूप से अध्यात्मिक है !
१.पृथ्वी (मिट्टी) स्थूल (भारी) है और ठोस है, परन्तु जल द्रव्य और हल्का होकर भी पृथ्वी (मिट्टी) को गला देती है और अपने अन्दर समा लेती है ! 
२. जल अग्नि से स्थूल (भारी) है परन्तु अग्नि जल को जलाकर सुखा देता है और अपने अन्दर समा लेता है ! 
३. अग्नि वायु से भारी (स्थूल) है परन्तु वायु अपने शक्ति (बल) से अग्नि को एक स्थान से दुसरे स्थान ले जाता है और अपने अन्दर समा लेता है ! 
४. वायु साधारणतया आकाश से भारी (स्थूल) है परन्तु वायु को आकाश अपने अन्दर समा लेता है ! 
५. आकाश विशाल है, परन्तु शुन्य (परमात्मा) में समा जाता है ! 
परमात्मा में सभी गुण है ! 
पंचतत्व का गुण :
१. आकाश में एक गुण है : ध्वनी है !
२. वायु में दो गुण है: ध्वनी और स्पर्श है ! 
३.अग्नि में तीन गुण है: ध्वनी, स्पर्श और आकार (स्वरुप) है !
४.जल में चार गुण है: ध्वनी, स्पर्श, आकार और रस है !
५.पृथ्वी में पांच गुण है : ध्वनी, स्पर्श, आकार, रस और गंध है !

मानव पंच तत्व से बना है परन्तु वर्तमान का मानव मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से अति दुखी और रोगी है ! जिसका कारन है मानव को भौतिक वादी होना, भौतिक वादी शिक्षा का प्रसार होना ! जिसके कारन वर्तमान का मानव, जीवन भर दो तत्वों को प्राप्त करने में ही लगा रहता है ! दो ही तत्व को महत्व देते हैं- जैसे खाना और पीना अर्थात पृथ्वी और जल तत्व को ही ग्रहण कर पाते हैं ! तीन महत्व पूर्ण तत्व को उचित मात्रा में ग्रहण कर ही नहीं पाते हैं ! जिसके कारन पंच तत्व का संतुलन बिगर जाता है और मानव का पंच तत्व शरीर रोग से ग्रसित होने लगता है ! मानव का पंच तत्व शरीर रोगी और असंतुलित होने से संसार का भी संतुलन बिगर ने लगता है ! 

योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा सहज रूप से मानव शरीर का और संसार का पंच तत्व का संतुलन किया जा सकता है

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