"राम नाम सब कोई कहे, दश रित कहे न कोय ! एक बार दशरित कहे, कोटि यज्ञ फल होय!! " इस दोहे में दशरित कहा है-----
१--निंदा,
२--आसुरी प्रकृति वाले को नाम महिमा बताना
३--हरि-हर में भेद दृष्टि रखना,
४--वेदों पर विश्वास न रखना,
५--शास्त्रों पर अविश्वास,
६-- गुरु पर अविश्वास,
७--नाम महिमा को असत जानना,
८--नाके भरोसे निषिद्ध कर्म करना,
९--नाम के भरोसे विहित कर्म न करना
१०--और भगवन्नाम के साथ अन्य साधनों की तुलना करना! इन दस का परहेज रखा जाय तो नाम जप से शीध्र परम सिद्धि होती है, इसमें कोई संदेह नहीं!
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