जहा अधर्म होगा वहा भय अवश्य होता है। जैसे आप चोरी या कोई गलत काम करे तो भीतर ही भीतर आपकी आत्मा को भय का अनुभव होगा। किन्तु जहा धर्म होता है वहा निर्भयता होती है, जैसे आप कोई अच्छा काम करे तो आपको भय की जगह हर्ष होगा , प्रसन्नता होगी। ईश्वर की भक्ति से भय का समूल नाश होता है , जो धर्म का पालन करता है , सदाचारी है , किसी का अहित नहीं करता और ईश्वर भक्त है , उसे त्रिलोकी मे किसी से भय नहीं होता, पूर्णतः निर्भीक ।
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