जब ज्ञान की आँधी आती है , तो भ्रमों के छप्पर उड़ जाते है , माया की रस्सिया खुल जाती है। तृष्णा के खंभे उखड़ने लगते है। स्वार्थ का छज्जा भी नीचे गिर जाता है । कुबुद्धि का मटका फूट जाता है , और जन्मो जन्मो के कर्म-संस्कारो का जो कचरा भीतर जमा हो उसका सफाया हो जाता है। इसलिए सदैव ज्ञानप्राप्ति हेतु प्रयास करते रहना चाहिए ।
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