जेसे खेल मैं छिपे हुय बालक को दूसरा बालक देख ले,,, तो वह सामने आ जाता है,,की अब तो इसने मुझे देख लिया है,,,अब क्या छिपना,,, एसे ही भगवान सब जगहा छिपे हुय हैं,,,अगर साधक सब जगहा भगवान को देखे तो फिर भगवान उससे छिपे
नहीं रहेंगे,,, सामने आ जायंगे,,,
सब ओर से विमुख होने पर भगत अपने मैं ही अपने भगवान प्रीतम को पा लेता है,,,
अपनी प्राप्ति के लिये भगवान ने यदि जीव को मनुष्य शरीर दिया है तो उसके लिये पूरी योग्यता ओर सामग्री भी साथ ही दी है इतनी योग्यता ओर सामग्री दी है क़ि मनुष्य अपने जीवन मैं कई बार भगवान जी की किरपा ओर उनकी प्राप्तिकार ले,,,,
जिसके लिय मनुष्य शरीर मिला है उसकी प्राप्ति कठिन है तो सुगम क्या है इस संसार मैं,,,,,
नहीं रहेंगे,,, सामने आ जायंगे,,,
सब ओर से विमुख होने पर भगत अपने मैं ही अपने भगवान प्रीतम को पा लेता है,,,
अपनी प्राप्ति के लिये भगवान ने यदि जीव को मनुष्य शरीर दिया है तो उसके लिये पूरी योग्यता ओर सामग्री भी साथ ही दी है इतनी योग्यता ओर सामग्री दी है क़ि मनुष्य अपने जीवन मैं कई बार भगवान जी की किरपा ओर उनकी प्राप्तिकार ले,,,,
जिसके लिय मनुष्य शरीर मिला है उसकी प्राप्ति कठिन है तो सुगम क्या है इस संसार मैं,,,,,
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