Tuesday 10 March 2015

आज नहीं तो कल मिल जायेगा.

एक साधू से किसी ने पूछा कि उसका गुरु कौन है ? तो पूछने वाला बहुत हैरान हुआ जब उसने बताया कि उसका गुरु एक चोर है सबसे पहले जिससे कुछ सिखा वो चोर था.
साधू ने बताया, मैं एक गाँव में गया . आधी रात हो चुकी थी, दरवाजे सभी के बंद थे तभी एक आदमी रस्ते पर मिला, उसने कहा अब दरवाजे तो बंद है आप मेरे साथ ही आये और ठहर जाए पर मैं एक चोर हूँ हो सकता है आप साधू है मेरे यहाँ ठहरना उचित न समझे .
साधू ने बताया वह उसकी सच्चाई और इमानदारी से प्रभावित हुए क्योकि वे भी इतना सच्चा नहीं थे जितना चोर था. मैंने उसके पैर छुए और प्रणाम किया और कहा कि तुम आज से मेरे गुरु हुए आज मैंने सच्चाई सीखी .
मैं चोर के साथ उसके घर गया ,मुझे सुलाकर चोर ने कहा, क्षमा करे, अब तो मेरे धंधे का वक्त है, मैं जाता हूँ आप विश्राम करे मैं सुबह को तीन- चार बजे लौटुगा .वह चोरी करने चला गया .
सुबह करीब पांच बजे वो लौटा तो मैंने पूछा क्या सफलता मिली कुछ हाथ लगा ? तो चोर हँसता हुआ बोला आज तो नहीं पर कल फिर कोशिश करेगे . मैं एक महीने तक उस चोर के घर में रहा वह रोज सुबह जब लौटता तो मैं पूछता कुछ लाये तो वो कहता आज नहीं लेकिन कल - कल जरूर लेकर आयेगे .
साधू ने बताया , मैं भी भगवान को खोजने निकला था, खोजता था नहीं मिलता था ,थक जाता था निराश हो जाता था और सोचता था अब ये सब छोड़ दूंगा . पर इस चोर कि वजह से मैं भटकने से बच गया तब मुझे चोर की याद आती जो हमेश कहता, आज नहीं तो कल मिल जायेगा.
जब एक साधारण सा चोर अगर कल पर इतना विश्वास रखता है,आशा रखता है,साहस रखता है फिर मैं तो परमात्मा खोजने निकला हूँ .मुझे भी इतना जल्दी निराश नहीं होना चाहिए आज नहीं तो कल मिल ही जायेगा . आख़िरकार एक दिन मुझे परमात्मा की अनुभूति हुई उस चोर से मैंने यह आशा सीखी यह हिम्मत सीखी.मैं उसको प्रणाम करता हूँ .
"जिन्दगी में सिखने की बात तो सब तरफ से सीखी जा सकती है केवल वे ही लोग जो अपने मस्तिस्क के दरवाजो को बंद कर लेते है सिखने से वंचित रह जाते है".

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