Tuesday 24 March 2015

स्त्रियां पूरे शरीर में गर्माहट सी महसूस करती है।

संभोग क्रिया करने के दौरान अगर स्त्री को मिलने
वाला यौनसुख केवल शरीर को सुकून पहुंचाने को स्रोत
नहीं होता बल्कि यह किसी भी बदसूरत व्यक्ति को खूबसूरत
बना सकता है। यौनसुख बस एक साधारण शारीरिक
प्रतिक्रिया होती है। थोड़े समय में रोजाना यौनसुख भोगने
वाली स्त्री में सिर से लेकर पैरों के नाखूनों तक बदलाव
आता है। संभोग क्रिया करते समय ग्रंथियों में उत्तेजना बढ़
जाती है और इस क्रिया के अन्त में मुश्किल प्रतिक्रियाएं
होती है तथा पिट्यूररी ग्रन्थि खून में हार्मोन्स का स्राव
करती है जो यौन अंगो में प्रतिक्रियाओं को बढ़ाते है। संभोग
करने की इच्छा के लिये यौन हार्मोन्स होना जरूरी है।
पिट्यूटरी ग्रन्थि को मास्टर यौन ग्रथि कहा जाता है
क्योंकि इसके हार्मोन्स शरीर की दूसरी यौन ग्रंथियों पर
अधिकार रखते है। यह ग्रन्थि अलग-अलग हार्मोन्स
को अलग-अलग यौन ग्रन्थियों तक इस सन्देश के साथ
भेजती है कि वो अपने खुद के हार्मोन्स को भरने के लिये तैयार
रहे। ये यौन ग्रन्थिया जब एक बार खुद एक बार हार्मोन्स से
भर जाती है तो पिट्यूटरी ग्रन्थि को सन्देश भेजती है, अब हम
खुद सावधान है और हमे तुम्हारी मदद की कोई जरूरत नहीं है।
इन सब ग्रन्थियों का व्यक्ति को जवान बनाए रखने और
उसकी खूबसूरती बनाए रखने से सीधा संबध होता है। सहवास
करने के दौरान खून को बहाने वाली नसों पर काबू रखने
वाली छोटी मांसपेशियां अनैच्छिक रुप से सिकुड़ जाती है जिसके
कारण स्त्रियां अपनी पूरे शरीर में गर्माहट सी महसूस करती है।
छोटी खून को बहाने वाली नसें शान्त रहकर शरीर में बहुत
ज्यादा खून और गर्माहट लाती है। इसी कारण से कभी-
कभी पूरे शरीर की त्वचा में लालपन आ जाता है। यह
प्रक्रिया त्वचा के लिए बहुत अच्छी चिकित्सा का काम
करती है क्योंकि यह त्वचा की परतों में खून के बहाव
को बढ़ा देती है तथा शरीर के रोम छिद्रों में तेल और
नमी को पहुंचाती है जिससें त्वचा को जवानी और चमक
मिलती है। त्वचा के अन्दर नमी के जमा होने से त्वचा के
कमजोर होने की प्रक्रिया रूक जाती है जिससे त्वचा मुलायम
और खूबसूरत बनी रहती है। संभोग क्रिया त्वचा के
अलावा बाकी शरीर को भी स्वस्थ और चुस्त बनाए रखने में
मदद करती है।

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