Friday 23 January 2015

ईश्वर कहीं छोटी उम्र के हैं

एक नन्हा बालक ईश्वर से मिलना चाहता था। वह जानता था कि उसकी यह यात्रा लंबी होगी। इस कारण उसने अपने बैग में चिप्स के पैकेट और पानी की बोतलें रखीं और यात्रा पर निकल पड़ा। वह अपने घर से कुछ ही दूर पहुंचा होगा कि उसकी नजर एक बुजुर्ग सज्जन पर पड़ी, जो पार्क में कबूतरों के एक झुंड को देख रहे थे। वह
बालक भी उनके पास जाकर बैठ गया।
कुछ देर बाद उसने पानी की बोतल
निकालने के लिए अपना बैग खोला। उसे
लगा कि वह बुजुर्ग सज्जन भी भूखे हैं, लिहाजा उसने उन्हें कुछ चिप्स दिए। उन्होंने चिप्स लेते हुए बालक की तरफ मुस्कराकर देखा। बालक को बुजुर्ग की मुस्कराहट बेहद भली लगी। वह उसके दीदार एक बार फिर करना चाहता था, सो उसने उन्हें पानी की बोतल भी पेश की। बुजुर्ग सज्जन ने पानी लेते हुए फिर मुस्कराकर उसकी तरफ देखा। बालक यह देखकर बेहद खुश हुआ। इसके बाद पूरी दोपहर वे साथ-साथ बैठे रहे। बालक उन्हें समय-समय पर पानी और चिप्स देता रहता। बदले में उसे उनकी भोली मुस्कराहट मिलती रही। अब तक शाम होने को आई थी। बालक को भी थकान लगने लगी थी। उसने
सोचा कि अब घर चलना चाहिए। वह उठा और घर की ओर चलने लगा। कुछ कदम चलने के बाद वह ठिठका और पलटकर दौड़ते हुए वृद्ध के पास आया। उसने वृद्ध को अपनी बांहों में भरा।
बदले में वृद्ध शख्स ने होंठों पर और भी बड़ी मुस्कराहट लाते हुए उसका आभार प्रकट किया।

कुछ देर बाद वह बालक अपने घर पर था। दरवाजा उसकी मां ने खोला और उसके होंठों पर खेलती मुस्कराहट देख पूछ बैठीं, 'आज तुमने ऐसा क्या किया, जो तुम इतने खुश हो?' बालक ने जवाब दिया, 'आज मैंने ईश्वर के साथ लंच किया।' इसके पहले कि मां कुछ और पूछती वह फिर बोला, 'तुम्हें मालूम है मां? उनके जैसी मुस्कराहट मैंने आज तक नहीं देखी।' उधर, वह बुजुर्ग
सज्जन भी वापस अपने घर पहुंचे, जहां दरवाजा उनके बेटे ने खोला।

बेटा अपने पिता के चेहरे पर शांति और संतुष्टि के भाव देख पूछ बैठा, 'आज
आपने ऐसा क्या किया है, जो आप इतने खुश लग रहे हैं।'

इस पर उन्होंने जवाब दिया, 'मैंने पार्क में ईश्वर के साथ चिप्स खाए।' 
इससे पहले की बेटा कुछ और कहता, वह आगे बोले, 'तुम्हें मालूम है? मेरी अपेक्षा के अनुरूप ईश्वर कहीं छोटी उम्र के हैं।'......

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