Wednesday 28 January 2015

बुद्धि नष्ट होने पर प्राणी स्वयं नष्ट हो जाता है।


1- क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है।

2- मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से प्रकट करता है, 
किंतु बुद्धिमान शांति से उसे वश में करता है।

3- क्रोध करने का मतलब है, दूसरों की गलतियों कि 
सजा स्वयं को देना।

4- जब क्रोध आए तो उसके परिणाम पर विचार करो।

5- क्रोध से धनी व्यक्ति घृणा और निर्धन तिरस्कार का 
पात्र होता है।

6- क्रोध मूर्खता से प्रारम्भ और पश्चाताप पर खत्म 
होता है।

7- क्रोध के सिंहासनासीन होने पर बुद्धि वहां से खिसक 
जाती है।

8- जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप में नहीं कह सकता, 
उसी को क्रोध अधिक आता है।

9- क्रोध मस्तिष्क के दीपक को बुझा देता है। अतः हमें 
सदैव शांत व स्थिरचित्त रहना चाहिए।

10- क्रोध से मूढ़ता उत्पन्न होती है, मूढ़ता से स्मृति 
भ्रांत हो जाती है, स्मृति भ्रांत हो जाने से बुद्धि का नाश 
हो जाता है और बुद्धि नष्ट होने पर प्राणी स्वयं नष्ट हो 
जाता है।

11- क्रोध यमराज है।

12- क्रोध एक प्रकार का क्षणिक पागलपन है।

13-क्रोध में की गयी बातें अक्सर अंत में उलटी 
निकलती हैं।

14- जो मनुष्य क्रोधी पर क्रोध नहीं करता और क्षमा 
करता है वह अपनी और क्रोध करने वाले की महासंकट 
से रक्षा करता है।

15- सुबह से शाम तक काम करके आदमी उतना नहीं 
थकता जितना क्रोध या चिन्ता से पल भर में थक जाता है।

16- क्रोध में हो तो बोलने से पहले दस तक गिनो, 
अगर ज़्यादा क्रोध में तो सौ तक।

17- क्रोध क्या हैं ? क्रोध भयावह हैं, क्रोध भयंकर हैं, 
क्रोध बहरा हैं, क्रोध गूंगा हैं, क्रोध विकलांग है।

18- क्रोध की फुफकार अहं पर चोट लगने से उठती है।

19- क्रोध करना पागलपन हैं, जिससे सत्संकल्पो का 
विनाश होता है।

20- क्रोध में विवेक नष्ट हो जाता है।

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